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मस्क फिर मायूस, दूसरी बार फेल हुआ SpaceX का सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप

SpaceX: एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने शनिवार को एक बार फिर से अपने सबसे बड़े रॉकेट स्टारशिप की लॉन्चिंग की. मगर स्पेसएक्स का यह प्रयास असफल रहा. रिपोर्ट के मुताबिक, टेस्टिंग फ्लाइट के बाद ही बूस्टर और स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया.

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Edited By: Shubhank Agnihotri
मस्क फिर मायूस, दूसरी बार फेल हुआ SpaceX का सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप

SpaceX: एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने शनिवार को एक बार फिर से अपने सबसे बड़े रॉकेट स्टारशिप की लॉन्चिंग की. मगर स्पेसएक्स का यह प्रयास असफल रहा. रिपोर्ट के मुताबिक, टेस्टिंग फ्लाइट के बाद ही बूस्टर और स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया. रिपोर्ट के मुताबिक, बूस्टर ने स्टारशिप को अंतरिक्ष की ओर रवाना किया था लेकिन साउथ टेक्सास से उड़ान भरने के आठ मिनट के बाद ही उसका संपर्क टूट गया. स्पेसएक्स ने इसके बाद मिशन के फेल होने के बारे में जानकारी दी.

फेल मिशन, क्या रहा हासिल?

स्टारशिप रॉकेट को टेक्सास से लॉन्च किया गया था और उसे पृथ्वी का चक्कर लगाते हुए हवाई के पास समुद्र में उतरना था. हालांकि, स्टारशिप ने लॉन्च के छह मिनट बाद सिग्नल भेजना बंद कर दिया और इसके बाद खबर आई कि जैसे बूस्टर में धमाका हुआ है, वैसे ही स्टारशिप को भी आग के गोले में तब्दील होना पड़ा है. रिपोर्ट के अनुसार, भले ही यह मिशन फेल हो गया हो लेकिन इसके बाद भी बहुत कुछ हासिल हुआ है. पिछली बार लॉन्चिंग के दौरान आई खामियों को दूर किया गया था. स्पेसएक्स की इस कामयाबी के लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसे बधाई दी है.


इंसानों के लिए है बड़ा झटका

स्पेस वॉच की ग्लोबल एडिटर डॉ एमा गैटी ने कहा कि इस बार टेस्टिंग के दौरान 33 इंजनों ने काम किया. इसी वजह से स्टारशिप इतनी उंचाई तक जा पाया. इसे फर्स्ट सेपरेशन स्टेज कहा जाता है. यही सबसे ज्यादा दिलचस्प होता है. उन्होंने कहा कि भले ही इसे कुछ हद तक सफल बताया जा रहा हो लेकिन स्टारशिप का आसमान में आग के गोलों में बदल जाना इंसानों के लिए बड़ा झटका है.


इंसानों को अंतरिक्ष में बसाना है सपना

एलन मस्क इंसानों को मंगल ग्रह पर ले जाने और उन्हें वहां बसाने का सपना देखते हैं. इसके लिए स्टारशिप रॉकेट का सफल होना बेहद जरूरी है. मस्क मंगल ग्रह पर 100 लोगों को ले जाकर वहां मानव बस्ती बसाना चाहते हैं.नासा भी इसके लिए स्टारशिप पर ही निर्भर है. नासा आर्टेमिस मिशन के जरिए 2025 तक अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की सतह पर लैंड कराना चाहता है. मगर यह मिशन अपने तय समय से पीछे चल रहा है. 

 

 

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