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साउथ कोरिया के राष्ट्रपति ही देश के लिए 'सबसे बड़ा खतरा'! एक बयान ने पूरे देश में मचा दी है हलचल

South Korea News: साउथ कोरिया के भीतर राजनीतिक अस्थिरता कम होने का नाम नहीं ले रही है. अब सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख ने विवादित बयान दिया है, जिससे देश में एक बार फिर अस्थिरता पैदा हो गई है. उन्होंने देश के राष्ट्रपति यूं सुक-योल पर गंभीर आरोप लगाया है.

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Edited By: Kamal Kumar Mishra
South Korea News
Courtesy: x

South Korea News: दक्षिण कोरिया में सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख हान डोंग-हून ने एक विवादास्पद बयान दिया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक-योल को निलंबित नहीं किया गया, तो इससे देश के नागरिकों के लिए "बड़ा खतरा" उत्पन्न हो सकता है. हान ने लोगों को सावधान किया है कि यदि राष्ट्रपति को हटाया नहीं गया तो देश में "मार्शल लॉ की घोषणा के समान चरम कार्रवाई दोहराई जा सकती है", जो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक साबित हो सकती है.

हान डोंग-हून, जो दक्षिण कोरिया की सत्तारूढ़ पार्टी के प्रमुख हैं, ने यह बयान राष्ट्रपति यूं सुक-योल की शासन शैली और उनकी नीतियों के संदर्भ में दिया. उनका कहना है कि यूं सुक-योल के बढ़ते शक्ति केंद्रित निर्णय और विपक्षी दलों के प्रति उनकी कठोरता देश के संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए एक गंभीर खतरा बन सकती है. हान ने राष्ट्रपति के "सैन्यकेंद्रित दृष्टिकोण" को लेकर चिंता जताई और यह दावा किया कि राष्ट्रपति की सरकार देश के नागरिकों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए खतरा उत्पन्न कर सकती है.

मार्शल लॉ की संभावना: क्या संकेत दे रहे हैं हान?

हान डोंग-हून ने अपने बयान में विशेष रूप से "मार्शल लॉ" की बात की. यह ऐतिहासिक रूप से उन देशों में लागू किया जाता है जहां सैन्य या प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ता है और नागरिक स्वतंत्रता में कटौती होती है. दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ की अवधारणा, हालांकि वर्तमान में कोई वास्तविक खतरा नहीं दिखती, फिर भी हान का यह बयान एक गंभीर संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

1970 और 1980 के दशक में दक्षिण कोरिया में सैन्य शासन और मार्शल लॉ लागू हो चुका है, जिससे नागरिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ था. हान का कहना है कि राष्ट्रपति यूं सुक-योल के कदम यदि सही दिशा में नहीं मोड़े गए, तो यह एक खतरनाक पुनरावृत्ति हो सकती है.

राष्ट्रपति यूं सुक-योल का दृष्टिकोण ?

राष्ट्रपति यूं सुक-योल ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बार अपनी कठोर और निर्णायक नीतियों का बचाव किया है. उनका कहना है कि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और दक्षिण कोरिया की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत करने के लिए कई ऐसे कदम उठाए हैं जो आवश्यक थे. हालांकि, विपक्ष और अब सत्तारूढ़ पार्टी के कुछ सदस्य उनकी आलोचना करते आ रहे हैं कि उनके फैसले अक्सर तानाशाही की ओर इशारा करते हैं.

देश में राजनीतिक असंतोष

राष्ट्रपति के प्रशासन की नीतियों को लेकर दक्षिण कोरिया में इन दिनों राजनीतिक असंतोष बढ़ता जा रहा है. हान डोंग-हून के बयान ने इस असंतोष को और हवा दी है. विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि राष्ट्रपति यूं सुक-योल ने अपने पद का दुरुपयोग किया है और उनकी नीतियों से देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर राष्ट्रपति को निलंबित करने या उनकी सरकार पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह लोकतांत्रिक प्रणाली में विश्वास को और कमजोर कर सकता है. हान के बयान ने यह साफ कर दिया है कि सत्तारूढ़ पार्टी के अंदर भी राष्ट्रपति की नीतियों को लेकर चिंता गहरी हो रही है.

दक्षिण कोरिया की राजनीति में आगे क्या होगा?

दक्षिण कोरिया की राजनीति एक अति संवेदनशील दौर से गुजर रही है, जहां सरकार और विपक्ष के बीच गहरे मतभेद देखे जा रहे हैं. सत्तारूढ़ पार्टी के भीतर भी बंटवारा बढ़ता जा रहा है और राष्ट्रपति की नीति के विरोध में आवाजें उठ रही हैं. यह आने वाले समय में और भी गहरा हो सकता है, खासकर यदि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाती है.