Sheikh Hasina: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को न्याय के कठघरे में लाने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी. ये बातें विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने रविवार को कही. उन्होंने कहा कि इस मामले में भारत को यह तय करने की जिम्मेदारी लेनी होगी कि उन्हें सौंपना है या नहीं.
तौहीद हुसैन ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि अगर हमारी कानूनी व्यवस्था चाहेगी, तो हम निश्चित रूप से उन्हें वापस लाने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि भारत के साथ एक समझौता और कानूनी प्रक्रिया है. अटकलें लगाना बेहतर नहीं है.
इस सवाल पर कि क्या अंतरिम सरकार को हसीना के भारत में होने के बारे में पता था, विदेश मामलों के सलाहकार ने कहा कि इस बारे में भारत से पूछना बेहतर है. बांग्लादेश ने हसीना और उनके परिजनों के राजनयिक पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं , जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या वह अब भारत में रह सकती हैं और क्या उन्हें प्रत्यर्पण का सामना करना पड़ सकता है?
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, पिछले महीने छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के मद्देनजर बांग्लादेश से भागने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री को भारत में प्रवेश की मंजूरी बहुत कम समय में दी गई थी. वहीं, भारत के साथ हुए सहमति पत्रों पर पूछे गए सवाल के जवाब में हुसैन ने कहा कि ऐसे समझौते कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हैं और राष्ट्रीय हित में उनकी समीक्षा की हमेशा गुंजाइश रहती है.
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ कुल 51 मामले दर्ज हैं जिनमें 42 अकेले हत्या से संबंधित हैं. शेख हसीना भारत में 20 दिन से ज्यादा रह चुकी हैं. उनके पास राजनयिक पासपोर्ट के अलावा कोई अन्य पासपोर्ट नहीं है. भारतीय वीजा पॉलिसी के मुताबिक, राजनयिक या आधिकारिक पासपोर्ट रखने वाले बांग्लादेश के नागरिक वीजा-मुक्त एंट्री के भारत में एंट्री लेने के पात्र हैं और इसके बाद वे 45 दिनों तक यहां रह सकते हैं. ऐसे में शेख हसीना के कानूनी प्रवास की डेडलाइन खत्म होने वाली है. अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की ओर से शेख हसीना के राजनयिक पासपोर्ट को रद्द किए जाने के बाद उनके प्रत्यार्पण का खतरा बढ़ सकता है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, शेख हसीना का प्रत्यर्पण बांग्लादेश और भारत के बीच 2013 में हुई प्रत्यर्पण संधि के कानूनी ढांचे के अंतर्गत आएगा. इसे साल 2016 में संशोधित भी किया गया था. संधि में कहा गया था कि अगर आरोप राजनीतिक प्रकृति का है, तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है. हालांकि, संधि में मर्डर जैसे आरोपों में प्रत्यर्पण का प्रावधान है. अब बांग्लादेशी सरकार की ओर से शेख हसीने के राजनयिक पासपोर्ट को रद्द किए जाने से भारत के सामने गंभीर कूटनीतिक समस्या पैदा हो गई है.