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मलेरिया की 'दूसरी वैक्सीन' को मिली WHO की हरी झंडी, भारत का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता- सीरम इंस्टीट्यूट बनाएगा हर साल 10 करोड़ डोज

Who Approved Malaria Second vaccine: विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया के दूसरे टीके को हरी झंडी दे दी है. मलेरिया के उपचार के लिए यह वैक्सीन अगले साल से मार्केट में उपलब्ध होगी.

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Edited By: Shubhank Agnihotri
मलेरिया की 'दूसरी वैक्सीन' को मिली WHO की हरी झंडी, भारत का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता- सीरम इंस्टीट्यूट बनाएगा हर साल 10 करोड़ डोज

Who Approved Malaria Second vaccine: मलेरिया के दूसरे टीके R21 वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हरी झंडी दे दी है. यह प्रयोग के लिए अगले साल से बाजार में उपलब्ध होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, एक डोज की कीमत 166 रूपए से 332 रुपए के बीच होगी. बीबीसी के अनुसार, इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बनाया है. दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसकी हर साल 10 करोड़ डोज बनाएगा.

 

मंजूरी मिली अब फंडिंग पर होगा जोर

रिपोर्ट के मुताबिक, यदि कोई मलेरिया से पीड़ित होता है तो उसे इस वैक्सीन के चार डोज लेने होंगे. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2021 में मलेरिया के पहले टीके RTS,S/AS01  को हरी झंडी दे दी थी. WHO के डायरेक्टर ट्रेडोस एडनोम घ्रेबेसियस ने कहा कि हमने मलेरिया के टीके को 2 साल पहले मंजूरी दी थी. अब हमारा लक्ष्य दुनियाभर में वैक्सीन बनाने के लिए फंड इकट्ठा करने पर होगा. यह संबंधित देशों की सरकारों के ऊपर होगा वे इसे नियंत्रित करने के उपायों में वैक्सीन को शामिल करती हैं या नहीं.


दोनों ही वैक्सीन समान रूप से प्रभावी

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर ने कहा कि  RTS,S/AS01 और R21  में कोई खास अंतर नहीं है.दोनों ही वैक्सीन ही मलेरिया के उपचार में प्रभावी हैं. रिपोर्ट के अनुसार, यह वैक्सीन प्लाज्मोडियम फैल्सिपेरम के असर को नष्ट कर देती है. प्लाज्मोडियम फैल्सिपेरम मलेरिया फैलाने वाले पांच सबसे खतरनाक परजीवियों यानी पैरासाइट्स में से एक है और यह बेहद खतरनाक होता है. WHO ने कहा कि इस वैक्सीन की मदद से हम मलेरिया के 10 में से 4 मामलों को रोक सकते हैं.

वैक्सीन से हर 10 में 3 को बचा सकते हैं

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि मलेरिया के बेहद गंभीर मामलों में भी हम 10 में 3 लोगों को बचा सकते हैं. आपको बता दें कि मलेरिया के कारण अकेले 2019 में दुनियाभर में 4.09 लाख लोगों की मौत हुई थी. भारत में 2019 में 3 लाख से ज्यादा केस दर्ज किए गए थे. इनमें 77 लोगों की मौत हुई थी.

 

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