नई दिल्लीः कोई जीव तब तक ही कोई हरकत करता है जब तक उसमें सांसे होती हैं यानी जीवन होता है. लेकिन इस खबर को जानने के बाद आपकी हैरानी तय है. दरअसल वैज्ञानिकों ने एक ऐसी मछली का पता लगाया है जो मरने के बाद भी अपना रंग बदलने में माहिर है.इस मछली की सबसे खास बात यह है कि यह अपने परिवेश के हिसाब से रंग बदल सकती है.
जान बचाने के लिए…
वैज्ञानिकों के किए गए अध्ययन में इस मछली का नाम हॉगफिश बताया है. इसे लैचनोलाईमस के नाम से भी जाना जाता है. इस स्टडी से वैज्ञानिकों को हॉगफिश मछली के विकास, रहने और इसके साथ ही उसके अन्य व्यवहारों के बारे में पता करने में मदद मिलेगी. वैज्ञानिकों ने कहा कि समुद्र में ऐसे कई जीव हैं जो अपना रंग बदल सकते हैं. इसका उपयोग वे तापमान को नियंत्रित करने, अपने पार्टनर को आकर्षित करने और छिपने के लिए करते हैं.
क्रोमैटोफेरस है प्रमुख वजह
यूएस की यूनिवर्सिटी ऑफ कैरोलिना के मुताबिक इन मछलियों के शरीर की कोशिकाओं में रंग द्रव्य , छोटी परावर्तन वाली प्लेटें हैं. जो इन्हें रंग बदलने में सक्षम बनाती हैं. इन्हें क्रोमैटोफोरस कहा जाता है. इस स्टडी की सबसे खास बात यह है कि यह मछली अपने रंग को मरने के बाद भी बदल सकती है.
अटलांटिक महासागर ठिकाना
समुद्र की चट्टानों के बीच रहने वाली यह मछली आमतौर पर नॉर्थ कैरोलिना से लेकर ब्राजील के अटलांटिक महासागर में पाई जाती है. खुद की जान बचाने के लिए यह मछली अपना रंग बदल लेती है.नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित एक शोध में एक्सपर्ट ने इसके प्रभावों का अध्ययन किया है. इसके अध्ययन के लिए शोधार्थियों ने माइक्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया.
आंख की तरह करती है काम!
इस शोध में वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया में त्वचा को रंग देने वाले क्रोमैटोफोर के नीचे SWS1 नाम के रिसेप्टर्स शामिल हो सकते हैं. वैज्ञानिकों ने कहा कि इन जीवों की स्किन आंखो की तरह ही संवेदनशील होती है. हालांकि वैज्ञानिकों ने यह साफ कहा कि यह आंख की तरह काम नहीं करती है.
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