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क्या Aliens सच में हैं? वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड को लेकर किया खुलासा, सुनकर रह जाएंगे दंग!

वैज्ञानिकों ने ऐसा संकेत पकड़ा है जिससे लग रहा है कि हमारे सौरमंडल के बाहर किसी ग्रह पर माइक्रोबियल यानी सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी हो सकती है. इसकी खोज दुनिया की सबसे ताकतवर टेलीस्कोप जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने की है. 

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Edited By: Princy Sharma
Space Exploration News
Courtesy: Social Media

Space Exploration: ब्रह्मांड में जीवन की तलाश में एक बड़ा खुलासा हुआ है. वैज्ञानिकों ने ऐसा संकेत पकड़ा है जिससे लग रहा है कि हमारे सौरमंडल के बाहर किसी ग्रह पर माइक्रोबियल यानी सूक्ष्मजीवों की मौजूदगी हो सकती है. इसकी खोज दुनिया की सबसे ताकतवर टेलीस्कोप जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने की है. 

यह खोज एक दूरस्थ (Distant) ग्रह K2-18 b पर की गई है, जो धरती से लगभग 124 प्रकाश वर्ष*दूर है. यह ग्रह आकार में धरती से 2.6 गुना चौड़ा और 8.6 गुना भारी है और यह एक छोटे से तारे (रेड ड्वार्फ) के चारों ओर स्थित है – लेकिन खास बात ये है कि यह 'हैबिटेबल जोन' यानी जीवन के लायक दूरी पर है, जहां पानी तरल रूप में मौजूद हो सकता है. 

किस गैस से हुआ जीवन का अंदेशा?

वैज्ञानिकों ने इस ग्रह के वातावरण में दो खास गैसें पाई हैं:

  • डायमेथाइल सल्फाइड (DMS)
  • डायमेथाइल डिसल्फाइड (DMDS

ये दोनों गैसें धरती पर केवल जीवित Microorganisms द्वारा ही बनाई जाती हैं – खासकर फाइटोप्लैंकटन) द्वारा और अब ये संकेत मिलना इस बात की ओर इशारा करता है कि इस ग्रह पर भी जीवाणु जीवन मौजूद हो सकता है.

वैज्ञानिक क्या कह रहे हैं?

इस रिसर्च का नेतृत्व कर रहे कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर निकु मधुसूदन का कहना है, 'हमने पहली बार दिखाया है कि अब हम ऐसे ग्रहों के वातावरण में जीवन के संकेत खोज सकते हैं. यह खोज एक क्रांतिकारी मोड़ है.'  उन्होंने यह भी कहा कि अभी हम एलियन जीवन की पुष्टि नहीं कर रहे, बल्कि ये एक संभावित बायोसिग्नेचर (जीवन के संकेत) हैं और इस पर और रिसर्च की जरूरत है.

DMS और DMDS का क्या मतलब है?

इन गैसों का लेवल धरती की तुलना में हजारों गुना ज्यादा पाया गया.
99.7% संभावना है कि ये संकेत वास्तविक हैं, लेकिन अभी भी 0.3% चांस है कि ये एक Statistical गलती हो.

हाइसियन वर्ल्ड क्या होता है?

वैज्ञानिकों ने K2-18 b को एक Hycean World बताया है यानी ऐसा ग्रह जो हाइड्रोजन से भरा वातावरण और गहरे महासागर वाला होता है. ये जगहें माइक्रोबियल जीवन के लिए आदर्श मानी जाती हैं.

कैसे मिली ये जानकारी?

जेम्स वेब टेलीस्कोप ने ट्रांजिट मेथड से ग्रह का अध्ययन किया – यानी जब ग्रह अपने तारे के सामने से गुजरा, तो उसकी रोशनी के स्पेक्ट्रम से पता चला कि वातावरण में कौन-कौन सी गैसें मौजूद हैं. प्रो. मधुसूदन ने चेतावनी दी है कि हमें दो-तीन बार और यह ओवरव्यू करना होगा. हमें यह भी जानना होगा कि कहीं ये गैसें जीवों के बिना किसी और प्रक्रिया से तो नहीं बन सकतीं.