menu-icon
India Daily

वैज्ञानिकों ने खोजा एक ऐसा रंग जिसे अभी तक किसी ने नहीं देखा, नाम रखा 'ओलो', जानें क्यों है इतना खास?

वैज्ञानिकों ने एक नए रंग की खोज का दावा किया है, जिसे मानव आंखों ने पहले कभी नहीं देखा. साइंस एडवांसेज जर्नल में 18 अप्रैल, 2025 को प्रकाशित शोध के मुताबिक, इस रंग को 'ओलो' नाम दिया गया है.

auth-image
Edited By: Garima Singh
OLO ColoR
Courtesy: X

OLO Color: वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नए रंग की खोज का दावा किया है, जिसे मानव आंखों ने पहले कभी नहीं देखा है. साइंस एडवांसेज जर्नल में 18 अप्रैल, 2025 को प्रकाशित शोध के मुताबिक, इस रंग को 'ओलो' नाम दिया गया है. केवल पांच लोगों ने इसे देखा है और इसे मोर के नीले या चैती रंग जैसा बताया है, जिसमें संतृप्ति का स्तर "असाधारण" है. यह खोज क्रांतिकारी है, क्योंकि यह रंग केवल रेटिना के लेजर हेरफेर से ही अनुभव किया जा सकता है. 

बर्कले के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर रेन एनजी ने इस खोज पर उत्साह जताया. उन्होंने कहा, "हमने शुरू से ही अनुमान लगाया था कि यह एक अभूतपूर्व रंगीन संकेत होगा, लेकिन हमें नहीं पता था कि मस्तिष्क इसके साथ क्या करेगा. यह चौंका देने वाला था. यह अविश्वसनीय रूप से संतृप्त था.' शोधकर्ताओं ने ओलो का अंदाजा देने के लिए फ़िरोज़ा रंग की एक तस्वीर साझा की, लेकिन उनका कहना है कि यह तस्वीर ओलो की वास्तविकता को पूरी तरह व्यक्त नहीं करती है. 

रेटिना लेजर से रंग का अनुभव

शोधकर्ताओं ने इस रंग को देखने के लिए रेटिना पर लेजर पल्स का उपयोग किया, जिसने मानव आंख की प्राकृतिक धारणा को उसकी सीमाओं से परे ले गया. दृष्टि वैज्ञानिक ऑस्टिन रूर्डा ने बताया, "किसी लेख या मॉनीटर पर उस रंग को व्यक्त करने का कोई तरीका नहीं है. असल बात यह है कि यह वह रंग नहीं है जिसे हम देखते हैं, यह बस नहीं है. हम जो रंग देखते हैं वह उसका एक संस्करण है, लेकिन यह ओलो के अनुभव की तुलना में बिल्कुल फीका है." यह रंग सामान्य डिस्प्ले या वीआर हेडसेट पर देखना संभव नहीं है. 

मानव आंख और रंग की प्रक्रिया

मानव आंख रेटिना में मौजूद शंकु कोशिकाओं (एल, एम, एस) के माध्यम से लाखों रंग पहचानती है. ये शंकु प्रकाश की लंबी, मध्यम और छोटी तरंगदैर्ध्य को ग्रहण करते हैं. सामान्यतः लाल प्रकाश एल शंकु और नीला प्रकाश एस शंकु को उत्तेजित करता है, लेकिन एम शंकु को उत्तेजित करना मुश्किल होता है. शोधकर्ताओं ने लेजर स्कैनिंग के जरिए एम शंकु को लक्षित किया और प्रकाश की एक फ्लैश के साथ ओलो का अनुभव संभव किया. 

क्या हम रोजमर्रा में ओलो देख पाएंगे?

शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया कि निकट भविष्य में ओलो को स्मार्टफोन, टीवी या वीआर हेडसेट पर देखना असंभव है. उन्होंने कहा, "हम निकट भविष्य में किसी भी स्मार्टफोन डिस्प्ले या टीवी पर ओलो नहीं देख पाएंगे. और यह वीआर हेडसेट तकनीक से बहुत, बहुत आगे की बात है. " यह खोज विज्ञान और मानव धारणा के क्षेत्र में एक नया अध्याय खोलती है.