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Science News: लाल गृह पर खुलेगा जीवन जीने का रास्ता! वैज्ञानिकों बताया मंगल पर जिंदा रह सकते हैं चूहे

Science News: मंगल ग्रह पर चूहे जीवित रह सकते हैं. यह दावा वैज्ञानिकों ने अपनी नई रिसर्च के आधार पर किया है. वैज्ञानिकों को अर्जेंटीना और चिली के अटकामा पठार में ज्वालामुखियों के शिखरों में रहने वाले कुछ चूहे मिले हैं.यहां का वातावरण मंगल ग्रह जैसी समानता रखता है.

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Edited By: Shubhank Agnihotri
Science News: लाल गृह पर खुलेगा जीवन जीने का रास्ता! वैज्ञानिकों बताया मंगल पर जिंदा रह सकते हैं चूहे

Science News: मंगल ग्रह पर चूहे जीवित रह सकते हैं. यह दावा वैज्ञानिकों ने अपनी नई रिसर्च के आधार पर किया है. वैज्ञानिकों को अर्जेंटीना और चिली के अटकामा पठार में ज्वालामुखियों के शिखरों में रहने वाले कुछ चूहे मिले हैं. अटकामा पठार की अवस्थिति और तापमान को मंगल ग्रह से मिलता हुआ माना जाता है. इस स्टडी के आधार पर साइंटिस्ट ने कहा कि ज्वालामुखियों के शिखर पर रहने वाले इन चूहों की खोज के बाद पता चला कि स्तनधारियों का भी मंगल ग्रह पर जीवन संभव हो सकता है.


इतनी ऊंचाई पर जीवन संभव नहीं!

समुद्र तल से 6000 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर मिले स्तनधारियों से वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि ऐसी जगहों पर स्तनधारी जीवों के लिए जीवन संभव नहीं है. रिसर्चर्स का कहना है कि मुश्किल वातावरण में चूहों के कंकाल मिलने ने पुरानी थ्योरी को बदल दिया है. अमेरिकी प्रोफेसर जे स्टोर्ज  और उनके साथी पेरेज ममानी ने 2020 की शुरूआत में चिली-अर्जेंटीना की सीमा पर फैले लुल्ला इलाइको की 22000 फुट ऊंची हिल पर एक कान वाले चूहे के जिंदा होने का सबूत पाया था. इससे पहले कभी भी इतनी ऊंचाई पर कोई स्तनपायी जीव नहीं पाया गया था.


मंगल ग्रह जैसी समानता

अध्ययन पर काम करने वाले प्रोफेसर स्टोर्ज ने कहा कि हमारी खोज की सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि स्तनधारी जीव ऐसे वातावरण में रह सकते हैं जो मंगल ग्रह जैसी समानता रखता है. उन्होंने कहा कि प्रशिक्षित पर्वतारोही यहां जाते हैं और वह काफी ट्रेनिंग के बाद यहां पहुंचते हैं. ये चूहे यदि इतनी ऊंचाई पर रह रहे हैं तो इस बात को प्रदर्शित करते हैं कि मंगल ग्रह पर जीवन की संभावनाएं हो सकती हैं.

दुर्गम वातावरण फिर स्तनधारी जीवित!

प्रोफेसर स्टोर्ज ने कहा कि इन्हीं तथ्यों की  खोज के लिए हमने 6000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले कई ज्वालामुखी शिखरों पर चढ़ाई की और उनकी जांच की. इस दौरान हमें 13 चूहों के कंकाल प्राप्त हुए. उनके कंकाल का अध्ययन करने पर इस बात का पता चला कि ये फोइलोटिस वैकैरम नाम के पत्ती -कान वाले चूहे की एक प्रजाति के हैं. उन्होंने बताया कि इनके मिलने पर मन में सवाल उठा कि स्तनधारी जीव बर्फ की चट्टानों और दुर्गम वातावरण में कैसे रह सकते हैं? स्टोर्ज ने कहा कि ये चूहे अपनी मर्जी से वहां पहुंचे थे. चूहों के हमें जो कंकाल मिले उससे तो यह पता चलता है कि मंगल ग्रह पर भी मानव जीवन संभव हो सकता है.

 

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