Israel Hamas War: इजरायल और हमास के बीच जारी जंग के बीच सऊदी अरब ने अमेरिका को आड़े- हाथों लिया है. इजरायल को राजनयिक मान्यता प्रदान करने के मसले पर सऊदी सरकार ने अमेरिका और उसकी मध्य-पूर्व में भूमिका पर तीखे सवाल खड़े किए हैं. सऊदी अरब ने सख्त लहजे में वाशिंगटन से कहा है कि इजरायल के साथ राजनयिक संबंधों की शुरुआत तब तक नहीं होगी जब तक वह आजाद फिलिस्तीन को मान्यता नहीं दे देता. सऊदी अरब ने कहा कि जब तक 1967 की सीमाओं के आधार पर मुक्त फिलिस्तीन के राज्य का गठन नहीं हो जाता तब तक वह इजरायल के साथ अपने राजनयिक संबंधों की शुरुआत नहीं करेगा.
रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब और इजरायल के बीच रिश्ते सामान्य करने की प्रक्रिया में अमेरिका अहम भूमिका निभा रहा है. हमास के साथ जंग से पहले दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की प्रक्रिया भी आरंभ हो चुकी थी. जंग छिड़ने के बाद सऊदी सरकार ने इजरायल के साथ रिश्ते बहाल करने और संबंधों को सामान्य करने की सभी अमेरिकी योजनाओं को ठंडे बस्ते में डाल दिया. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, रियाद ने अमेरिका को स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि फिलिस्तीन के मुद्दे पर बगैर जरूरी कदम उठाए बिना तेल अवीव के साथ राजनयिक संबंध शुरू नहीं करेगा.
सऊदी अरब इजरायल द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों में से एक अलग फिलिस्तीन राज्य बनाने का समर्थन करता है. वह चाहता है कि इस राज्य की राजधानी पूर्वी यरुशेलम हो. इसके अतिरिक्त सऊदी सरकार ने गाजा पट्टी में इजरायली सेना के हमलों को रोकने की भी अपील की है. इजरायल के साथ भविष्य में संबंधों को सामान्य बनाने के लिए सऊदी अरब ने फिलिस्तीनी क्षेत्रों में तैनात इजरायली सेनाओं की वापसी पर बल दिया है. सऊदी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि फिलिस्तीनी मुद्दे पर रियाद का रुख पहले से ही स्पष्ट है. सऊदी अरब फिलिस्तीनी लोगों के अधिकार और उनकी सुरक्षा पर हमेंशा जोर देता आया है.
एक दिन पहले ही अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन मध्य-पूर्व के दौरे पर गए थे. इस दौराव अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था कि सऊदी और इजरायल आपस में राजनयिक रिश्तों को मान्यता देने के लिए राजी हैं. अमेरिका के बयान जारी करने के बाद ही सऊदी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इजरायल के साथ संबंध बनाने के लिए इंकार कर दिया है. सऊदी अरब ने इजरायल को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं दी है. सऊदी ने कहा है कि इजरायल के साथ संबंध तभी बहाल होंगे जब वह 2002 के अरब शांति समझौते की शर्तों को मानेगा. 2002 के समझौते में ही तय हुआ था कि इजरायली सेना उन क्षेत्रों से कब्जा छोड़ेगी जो उसने 1967 की जंग के दौरान किया था. फिलिस्तीन को आजाद देश मानना होगा और उसकी राजधानी के तौर पर पूर्वी येरुशेलम को मानना होगा.