ब्रिटेन-आयरलैंड के दौरे पर जाएंगे S Jaishankar, रूस-यूक्रेन संकट पर होगी अहम चर्चा
विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार से यूके और आयरलैंड की छह दिवसीय यात्रा पर निकलेंगे, जिसका मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय सहयोग को सशक्त बनाना है. इस यात्रा में वे लंदन में अपने ब्रिटिश समकक्ष डेविड लैमी से महत्वपूर्ण वार्ता करेंगे.
S Jaishankar News: विदेश मंत्री एस जयशंकर मंगलवार से ब्रिटेन और आयरलैंड की छह दिवसीय यात्रा पर रवाना होंगे. इस दौरे का उद्देश्य भारत-ब्रिटेन और भारत-आयरलैंड के द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना है. इस दौरान वह ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी से मुलाकात करेंगे और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
आपको बता दें कि जयशंकर की इस यात्रा का खास महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रही है जब लंदन वैश्विक कूटनीतिक गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है. हाल ही में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी, जिसके बाद यूरोपीय देशों के शीर्ष नेताओं की एक अहम बैठक लंदन में आयोजित की गई. इस बैठक का मकसद रूस-यूक्रेन युद्ध पर एक साझा रणनीति बनाना था. इसी पृष्ठभूमि में जयशंकर की मुलाकातें और चर्चाएं महत्वपूर्ण होंगी.
भारत-ब्रिटेन के द्विपक्षीय संबंध होंगे मजबूत
वहीं विदेश मंत्रालय के अनुसार, जयशंकर अपनी यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा, व्यापार और सामरिक साझेदारी को लेकर विशेष बातचीत करेंगे. वह ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की कैबिनेट के अन्य वरिष्ठ सदस्यों से भी मुलाकात करेंगे.
मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने पर रहेगा जोर
हाल ही में भारत और ब्रिटेन ने अपने लंबित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया था. दोनों देश इस वर्ष के अंत तक इस समझौते को अंतिम रूप देने की योजना बना रहे हैं. जयशंकर की यह यात्रा इस प्रक्रिया को गति देने में मददगार साबित हो सकती है.
प्रवासी भारतीयों से भी करेंगे संवाद
इसके अलावा, जयशंकर की यात्रा के दौरान ब्रिटेन और आयरलैंड में बसे भारतीय समुदाय के लोगों के साथ भी संवाद होगा. वे प्रवासी भारतीयों से मिलकर भारत के विकास में उनके योगदान और उनकी चुनौतियों को समझने का प्रयास करेंगे.
इस यात्रा का महत्व क्यों?
- रूस-यूक्रेन संकट पर भारत की भूमिका को स्पष्ट करना.
- भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते को आगे बढ़ाना.
- रणनीतिक और रक्षा संबंधों को और मजबूत करना.
- प्रवासी भारतीयों के साथ संवाद स्थापित करना.