रूस की संसद ने हाल ही में एक नया कानून पास किया है, जिसके तहत अदालतों को उन समूहों से आतंकवादी संगठन का टैग हटाने की अनुमति मिल सकेगी, जिन्हें रूस ने पहले आतंकवादी घोषित किया था. इस नए कानून का उद्देश्य रूस के आंतरिक और विदेशी संबंधों में सुधार लाने के साथ-साथ सुरक्षा और रणनीतिक हितों को भी सुनिश्चित करना है. यह कानून तालिबान और सीरिया के नए नेतृत्व के साथ रूस के रिश्तों को सामान्य बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.
नए कानून का मकसद
तालिबान का आतंकवादी सूची से बाहर आना
तालिबान को रूस की आतंकवादी सूची में फरवरी 2003 में शामिल किया गया था और अब रूस इस संगठन के बारे में अपने दृष्टिकोण को बदलने पर विचार कर रहा है. 2021 में तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद, रूस ने तालिबान से आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग की संभावना जताई थी. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि रूस तालिबान की सरकार को आधिकारिक रूप से मान्यता देगा, जैसा कि तालिबान "इस्लामिक अमीरात अफगानिस्तान" के रूप में अपने शासन को प्रस्तुत करता है.
सीरिया के एचटीएस समूह पर कड़ी नजर
दूसरी ओर, रूस ने सीरिया में सक्रिय एक अन्य समूह, हयात तहरीर अल-शाम (HTS), को भी आतंकवादी समूह के रूप में सूचीबद्ध किया है. इस समूह ने राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन को उखाड़ने के लिए प्रमुख भूमिका निभाई थी. रूस के चिचन्या क्षेत्र के नेता, रामजान कादीरोव ने हाल ही में कहा कि रूस को सीरिया के नए नेतृत्व के साथ संबंध स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे और मानवीय संकट से बचा जा सके. कादीरोव की यह टिप्पणी रूस की रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाती है, जिसमें सीरिया और अफगानिस्तान दोनों में अपनी स्थिति को मजबूत करना शामिल है.
रूस की रणनीति: अफगानिस्तान और सीरिया में प्रभाव
रूस का अफगानिस्तान और सीरिया दोनों देशों में अपनी स्थिति को मजबूत करना बहुत महत्वपूर्ण है. अफगानिस्तान में रूस की जटिल और रक्तरंजित इतिहास है, जिसमें सोवियत संघ ने 1979 में अफगानिस्तान में घुसपैठ की थी, लेकिन अंततः उसे संघर्ष के कारण अपने सैनिकों को 1989 में वापस बुलाना पड़ा. वहीं, सीरिया में रूस की रणनीतिक भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि सीरिया में रूस के पास हमीमिम एयरबेस और तर्तुस नौसेना अड्डा जैसी महत्वपूर्ण सैन्य सुविधाएं हैं. इन सैन्य ठिकानों से रूस अपनी शक्ति को मध्य पूर्व में प्रस्तुत करता है और अमेरिका की प्रभुत्व वाली स्थिति को चुनौती देता है.
तालिबान और एचटीएस का भविष्य
तालिबान और एचटीएस दोनों के संबंध अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गहरे मतभेदों का कारण बने हुए हैं. तालिबान की ओर से महिलाओं के अधिकारों पर प्रतिबंध और शिक्षा में कड़े कदम उठाए गए हैं, जिनके कारण पश्चिमी देशों द्वारा इसकी अंतरराष्ट्रीय मान्यता में रुकावट आई है. वहीं, सीरिया में एचटीएस जैसे समूहों की गतिविधियों को लेकर भी बहुत से विवाद हैं. इन दोनों समूहों की भविष्यवाणी रूस के संबंधों पर महत्वपूर्ण असर डाल सकती है, विशेषकर रूस के कूटनीतिक और सुरक्षा हितों के संदर्भ में.