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दूसरे देशों में भी हुआ विरोध तो निपटा देती है ये खुफिया आर्मी, आखिर क्या है रूसी सेना की सीक्रेट एजेंसी GRU?

Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन के जंग के बीच रूसी रक्षा मंत्रालय की खुफिया ब्रांच GRU की चर्चा हो रही है. GRU को काफी रहस्यमयी माना जाता है. कहा जाता है कि इसने कई कारनामों को अंजाम दिया है.

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Edited By: Om Pratap
 Russia GRU military intelligence agency Steps Up Covert Sabotage Campaign Aimed at Europe
Courtesy: Photo Credit- Social Media

Russia Ukraine War: रूस यूक्रेन के बीच जंग का आज 822वां दिन है. अगले महीने यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अमेरिका और चीन के राष्ट्रपतियों से शांति शिखर सम्मेलन में आने की अपील की है. यूक्रेन लगातार युद्ध विराम और शांति की बात कर रहा है, तो उधर रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी भी अपने कारनामों को लेकर चर्चा में बनी हुई है. कहा जा रहा है कि रूस के दुश्मन नाटो देशों के खिलाफ लगातार GRU अभियान चलाता है. वो भी उनके सिस्टम के अंदर तक पहुंच कर.

रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी GRU को काफी रहस्यमय माना जाता है. GRU पर अमेरिकी चुनाव में हस्तक्षेप करने से लेकर इंग्लैंड में सर्गेई स्क्रिपल को जहर देने, विदेशी स्लीपर एजेंट चलाने और यूक्रेन को निशाना बनाकर हैकिंग अभियान चलाने जैसे कई वारदातों को अंजाम देने का आरोप है. हालांकि, GRU इन सभी से इनकार करता है. 

रिपोर्ट के अनुसार GRU के अधिकारी साइबरनेटिक्स, विदेशी भाषाओं, भूराजनीति, कोड के उपयोग और जासूसी के अन्य तत्वों समेत तीन साल के स्पेशल प्रशिक्षण से गुजरते हैं. जनरल इगोर कोस्त्युकोव 2018 से इसके प्रभारी हैं. GRU विदेशी एजेंटों के जरिए खुफिया जानकारी इकट्ठा करता है. नीदरलैंड की सुरक्षा सेवा AIVD के अनुसार, GRU का मुख्य काम सैन्य खुफिया जानकारी इकट्ठा करना है. इसके अलावा, इसके अधिकारी गुप्त रूप से प्रभावशाली ऑपरेशन भी करते हैं.

आइए, GRU के कुछ प्रमुख ऑपरेशंस के बारे में जानते हैं

GRU के बारे में कहा जाता है कि उसने सीरियाई युद्ध में राष्ट्रपति बशर अल-असद की मदद की. साथ ही चेचन्या में अलगाववादी विद्रोहियों के खिलाफ़ भी लड़ाई लड़ी. GRU के स्पीलर एजेंट ऐसे अंडरकवर लोगों के समूहों को तैनात करता है, जो रूस के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए झूठी पहचान के तहत विदेशी देशों में प्रवेश करते हैं. उदाहरण के लिए, 2023 में स्लोवेनियाई अधिकारियों ने रूस के GRU के लिए जासूसी करने के संदेह में दो विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया. 

2022 में ओल्गा कोलोबोवा (रूसी कर्नल की बेटी) पर GRU जासूस होने का आरोप लगाया गया था, जिसने इटली में नाटो में खुद को शामिल किया और खुद को लैटिन अमेरिकी ज्वैलरी डिजाइनर बताया. 1980 के दशक के मध्य में, अनुमान लगाया गया कि GRU ने 150 अवैध लोगों को अपने ग्रुप में शामिल किया है.

यूक्रेन साइबर ऑपरेशन: GRU को कई सैन्य अभियानों से जुड़े एक प्रमुख रूसी साइबर प्लेयर के रूप में देखा जाता है, जिसमें 2023 में Android टैबलेट डिवाइस के माध्यम से यूक्रेनी सैन्य योजना संचालन प्रणालियों में घुसपैठ करने का प्रयास शामिल है. 

2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में हस्तक्षेप: अमेरिका ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप करने के साइबर प्रयासों के लिए GRU के चीफ इगोर कोरोबोव समेत कई अन्य अधिकारियों को प्रतिबंधित कर दिया. हालांकि रूस ने हस्तक्षेप से इनकार किया, लेकिन GRU की ओर से संचालन करने के आरोपी 12 रूसियों पर सीनियर डेमोक्रेट के ईमेल हैक करने और लीक करने का आपराधिक आरोप लगाया गया.

मोंटेनेग्रो में असफल तख्तापलट: 2019 में, मोंटेनेग्रो की एक अदालत ने सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए एक असफल तख्तापलट के लिए 14 लोगों (दो रूसी GRU अधिकारी भी शामिल) को 15 साल तक की जेल की सज़ा सुनाई. GRU पर पड़ोसी सर्बिया से 2016 में तख्तापलट की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था, जिसका कथित उद्देश्य देश को नाटो में शामिल होने से रोकना था.

ओलंपिक डोपिंग: GRU को हैकिंग और डोपिंग के परिणाणों के हेरफेर के लिए भी जिम्मेदार ठहराया जाता है. इसका उद्देश्य ड्रग परीक्षणों में हेरफेर करना और रूसी एथलीटों को प्रदर्शन-बढ़ाने वाले पदार्थों का उपयोग करते हुए ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति देना होता है. इसके कारण रूस को 2018 शीतकालीन ओलंपिक से प्रतिबंधित कर दिया गया था.

जर्मनी की संसद पर हमला: 2020 में, यूरोपीय संघ ने 2015 में जर्मन संसद को हैक करने में उनकी संलिप्तता के लिए दो रूसी खुफिया अधिकारियों और जीआरयू पर प्रतिबंध लगाए. यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों ने जीआरयू की यूनिट 26165 को निशाना बनाया, जिसे हैकर समूह 'फैंसी बियर' या 'एडवांस्ड पर्सिस्टेंट थ्रेट 28' के रूप में जाना जाता है.

GRU के अतिरिक्त, रूस में दो अन्य मुख्य जासूसी संगठन हैं. इनमें संघीय सुरक्षा सेवा (एफएसबी), जो आंतरिक सुरक्षा की देखरेख करती है और विदेशी खुफिया सेवा (एसवीआर), जिसकी भूमिका ब्रिटेन की विदेशी जासूसी एजेंसी एमआई6 के समान है.

रूस के GRU की चर्चा की वजहों में ये भी शामिल

अमेरिका और सहयोगी खुफिया अधिकारी यूरोप में इन दिनों हो रहे 'स्पेशल कैंपेन' में बढ़ोतरी पर नजर रख रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये यूक्रेन को समर्थन दिए जाने के प्रयासों को कमजोर करने के लिए रूसी अभियान का हिस्सा है. इस कैंपेन में रूस की ओर से गुप्त कार्रवाई की जा रही है. इनमें अधिकतर आगजनी या आगजनी का प्रयास है. यूरोप में ऐसे ही कई स्थानों को निशाना बनाया जा रहा है. इसमें इंग्लैंड में एक गोदाम, पोलैंड में एक पेंट फैक्ट्री, लातविया में घर और सबसे विचित्र रूप से लिथुआनिया में एक आइकिया स्टोर शामिल हैं.

रूसी एजेंट होने के आरोप में कुछ लोगों को अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले की साजिश रचने के आरोप में भी गिरफ्तार भी किया गया है. हालांकि, ये हरकतें बेतरतीब लग सकती हैं, लेकिन अमेरिकी और यूरोपीय सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि ये रूस की ओर से कीव में हथियारों की डिलीवरी को धीमा करने और यूक्रेन के समर्थन के लिए बढ़ते यूरोपीय समर्थन को कमजोर करने के प्रयासों का ये हिस्सा है. अधिकारियों का कहना है कि रूस की सैन्य खुफिया शाखा, जीआरयू, इस अभियान का नेतृत्व कर रही है.

कम से कम अब तक, इन हमलों ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति में बाधा नहीं डाली है. नाटो और यूरोपीय नेता बढ़ते खतरे की चेतावनी दे रहे हैं.

  • एस्टोनिया के प्रधानमंत्री काजा कालास ने पिछले सप्ताह कहा था कि रूस यूरोप के खिलाफ स्पेशल कैंपेन चला रहा है.
  • पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने रूसी खुफिया एजेंसी के लिए मारपीट, आगजनी और आगजनी का प्रयास करने के आरोप में 12 लोगों की गिरफ्तारी की घोषणा की थी.
  • नॉर्वे के प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोर ने कहा कि रूस एक वास्तविक और गंभीर खतरा है, क्योंकि उनके देश ने ऊर्जा उत्पादकों और हथियार कारखानों को निशाना बनाकर संभावित हमलों के बारे में चेतावनी दी थी.

स्पेशल कैंपेन की बढ़ती चिंता के बीच, नाटो राजदूत अगले महीने अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक एवरिल डी. हेन्स से मिलने वाले हैं. हेन्स, यूक्रेन में रूस के युद्ध पर खुफिया जानकारी देंगी. साथ ही यूरोप में मास्को के गुप्त तोड़फोड़ अभियान पर भी चर्चा करेंगी. 

पूर्व अमेरिकी खुफिया अधिकारी एंड्रिया केंडल-टेलर ने कहा कि रूस की योजना यूरोपीय संकल्प को कमजोर करने की हो सकती है. यूरोप में रूस की ओर से की जाने वाली कार्रवाई कोई नई बात नहीं है. 2014 में, रूसी सैन्य खुफिया ने चेक गणराज्य में एक गोला-बारूद डिपो को उड़ा दिया था. यूरोपीय सरकारों ने 2018 में इंग्लैंड के सैलिसबरी में एक पूर्व रूसी खुफिया अधिकारी को जहर देने के बाद और फिर 2022 में मास्को के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूसी जासूसों को अपनी राजधानियों से निष्कासित कर दिया था. 

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