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India Daily

रूस की शीर्ष अदालत ने LGBT आंदोलन के खिलाफ उठाया कड़ा कदम, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने की कड़ी आलोचना

रूस के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक लेस्बियन और ट्रांसजेंडर अधिकारों के समर्थकों के खिलाफ गुरुवार को उठाया कठोर कदम.

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Edited By: Antriksh Singh
LGBT movement

हाइलाइट्स

  • एलजीबीटी कार्यकर्ताओं को "चरमपंथी" करार दिया
  • संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के प्रमुख इस पर भड़के

रूस के सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक लेस्बियन और ट्रांसजेंडर अधिकारों के समर्थकों के खिलाफ गुरुवार को कठोर कदम उठाया है. रूस के न्याय मंत्रालय ने कहा है कि एलजीबीटी आंदोलन के उग्रवादी प्रभाव की पहचान की गई है इसलिए इस पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया है. 

रूस के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया है कि एलजीबीटी कार्यकर्ताओं को "चरमपंथी" के रूप में नामित किया जाना चाहिए, इस कदम से समलैंगिक और ट्रांसजेंडर लोगों के प्रतिनिधियों को डर है कि इससे उनकी गिरफ्तारी और उन पर मुकदमा चलाया जा सकता है.

मीडिया को किया गया बैन

हालाकिं न्याय मंत्रालय ने इस बारे में कोई प्रमाण नहीं दिया था. कई अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस मुकदमें के माध्यम से इंटरनेशनल सिविक एलजीबीटी मूवमेंट को निशाना बनाया गया  है. इस मामले की सुनवाई बंद दरवाजों के अंदर की गई थी. 
सुनवाई मीडिया के लिए बंद थी, लेकिन पत्रकारों को फैसला सुनने की अनुमति दी गई थी.

क्यों लगाए गए प्रतिबंध

बता दें यह कदम रूस में यौन रुझान और लिंग पहचान की अभिव्यक्ति पर बढ़ते प्रतिबंधों के एक पैटर्न का हिस्सा है, जिसमें "गैर-पारंपरिक" यौन संबंधों को बढ़ावा देने और लिंग के कानूनी या चिकित्सा परिवर्तनों पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून शामिल हैं.

क्या बोले संयुक्त राष्ट्र प्रमुख

वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के प्रमुख ने रुस द्वारा उठाए गए इस कदम को एलजीबीटी लोगों के खिलाफ भेदभाव करने वाला बताते हुए इसको तुरंत निरस्त करने की मांग की है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा है कि रूसी अधिकारी इस मामले पर जरूरी कदम उठाएंगे.