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India Daily

काम नहीं कर रहा रूस-चीन की दोस्ती तुड़वाने का ट्रंप का पैंतरा! पुतिन ने किया ये बड़ा ऐलान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन और रूस की दोस्ती को तुड़वाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं लेकिन इस दोस्ती को तोड़ना और पुतिन को चीन के करीब जाने से रोकना ट्रंप के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं होगा.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Russia set to conduct joint naval exercises with China, Iran in Indian Ocean

रूस इस महीने के अंत में हिंद महासागर में चीन और ईरान के साथ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास करने की तैयारी में है. यह जानकारी चीन के रक्षा मंत्रालय ने रविवार को दी. यह अभ्यास, जिसे ‘सिक्योरिटी बेल्ट-2025’ नाम दिया गया है, मार्च के मध्य या अंत में ईरान के पास समुद्री क्षेत्र में आयोजित होगा. रूसी सरकारी मीडिया के अनुसार, यह घोषणा चीनी रक्षा मंत्रालय के बयान पर आधारित है.

यह नौसैनिक अभ्यास ईरान के चाबहार बंदरगाह के निकटवर्ती जल क्षेत्र में होगा. ईरानी सरकारी मीडिया ने सैन्य अभ्यास के मीडिया कार्यालय के हवाले से बताया कि यह कार्यक्रम सोमवार से शुरू होगा. चीनी सरकारी मीडिया के अनुसार, इसमें शामिल चीनी बेड़े में एक विध्वंसक (डिस्ट्रॉयर) और एक सप्लाई जहाज शामिल है. अभ्यास के दौरान समुद्री लक्ष्यों पर हमले, क्षति नियंत्रण, और संयुक्त खोज व बचाव जैसे अभ्यास किए जाएंगे. चीनी रक्षा मंत्रालय ने शिन्हुआ के हवाले से कहा कि इसका उद्देश्य भाग लेने वाले देशों की नौसेनाओं के बीच सैन्य विश्वास को मजबूत करना और व्यावहारिक सहयोग को बढ़ावा देना है.

अंतरराष्ट्रीय निगरानी
ईरानी समाचार एजेंसी इरना की रिपोर्ट के अनुसार, इस अभ्यास को अजरबैजान, दक्षिण अफ्रीका, ओमान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान, कतर, इराक, संयुक्त अरब अमीरात और श्रीलंका के प्रतिनिधि पर्यवेक्षक के तौर पर देखेंगे. ईरान की नौसेना और इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के जहाज भी इस अभ्यास में हिस्सा लेंगे. यह ‘सिक्योरिटी बेल्ट’ अभ्यास का सातवां संस्करण है, जो ईरान, रूस और चीन के बीच सैन्य सहयोग का प्रतीक है.

रूस-ईरान समझौता और तनाव
इस साल जनवरी में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान के बीच एक समझौता हुआ था, जिसका मकसद व्यापार और सैन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना था. दूसरी ओर, ईरान और अमेरिका के बीच तनाव भी गहरा गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए एक समझौते की मांग की, जिसे तेहरान ने “धमकाने” की नीति करार दिया. इस हफ्ते की शुरुआत में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने ईरानी नेतृत्व को एक पत्र भेजकर परमाणु समझौते पर बातचीत शुरू करने की पेशकश की थी. इसके जवाब में ईरान के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह खामेनेई ने कहा, “ईरान को दो तरीकों से निपटाया जा सकता है- सैन्य रूप से या समझौते से.”


खामेनेई ने वरिष्ठ ईरानी अधिकारियों के साथ बैठक में अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ “धमकाने वाली सरकारें” बातचीत पर जोर देती हैं, लेकिन उनका मकसद समस्याओं का हल नहीं, बल्कि वर्चस्व कायम करना और अपनी शर्तें थोपना है. गुरुवार को अमेरिका ने ईरान के तेल उद्योग पर नए प्रतिबंध लगाए, जो उसकी आय का मुख्य स्रोत है. इन प्रतिबंधों का लक्ष्य पहले से प्रतिबंधित कंपनियों से जुड़े जहाजों, फर्मों और व्यक्तियों को निशाना बनाना था.

रूस की मध्यस्थता की पेशकश
इस बीच, रूस ने इस हफ्ते कहा कि वह अमेरिका और ईरान के बीच नए परमाणु समझौते के लिए मध्यस्थता करने को तैयार है. यह बयान यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में अमेरिका और रूस के बीच संभावित बेहतर रिश्तों के बीच आया है. यह नौसैनिक अभ्यास न केवल तीन देशों के बीच सैन्य सहयोग को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक तनाव के बीच उनकी एकजुटता का संदेश भी देता है. यह घटना हिंद महासागर में शक्ति संतुलन और वैश्विक राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल सकती है.