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India Daily

शांति समझौता होने पर क्या यूक्रेन की कब्जाई हुई जमीन वापस करेंगे? जानें क्या बोला रूस

रूस ने फरवरी 2022 में शुरू हुए पूर्ण पैमाने के हमले के बाद चार यूक्रेनी क्षेत्रों डोनेट्स्क, लुगांस्क, ज़ापोरिज़िया और खेरसन को अपने में मिला लिया था. इसके अलावा, 2014 में उसने क्राइमिया पर भी कब्जा किया था. 

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Russia said it will not return Ukraine occupied land after peace agreement

तीन साल से चल रहे यूक्रेन-रूस संघर्ष को खत्म करने की दिशा में नई उम्मीदें जगी हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पिछले महीने सत्ता संभालते ही इस युद्ध को जल्द खत्म करने की पहल की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से संपर्क साधा. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर शांति समझौता होता है, तो क्या रूस यूक्रेन के कब्जाए गए इलाकों को लौटाएगा? रूस का जवाब साफ है और यह इस प्रक्रिया को जटिल बना रहा है. आइए, इस मुद्दे को गहराई से समझते हैं.

जमीन लौटाना संभव नहीं

रूस ने साफ कर दिया है कि यूक्रेन के जिन इलाकों को उसने अपने कब्जे में लिया है, वे अब रूसी संघ का हिस्सा हैं और इन्हें लौटाना संभव नहीं है. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "ये क्षेत्र हमारे संविधान में दर्ज हैं और रूस का अभिन्न हिस्सा हैं. इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता." रूस ने फरवरी 2022 में शुरू हुए पूर्ण पैमाने के हमले के बाद चार यूक्रेनी क्षेत्रों डोनेट्स्क, लुगांस्क, ज़ापोरिज़िया और खेरसन को अपने में मिला लिया था. इसके अलावा, 2014 में उसने क्राइमिया पर भी कब्जा किया था. 

हालांकि, रूसी सेना डोनेट्स्क और लुगांस्क के ज्यादातर हिस्सों पर नियंत्रण रखती है, लेकिन ज़ापोरिज़िया और खेरसन के केवल कुछ हिस्सों पर उसका कब्जा है. इसके साथ ही, उत्तर-पूर्वी खार्किव क्षेत्र का भी एक हिस्सा रूस के पास है. दूसरी ओर, यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र के सैकड़ों वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया है, जिसे लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की ने इलाकों के "आदान-प्रदान" की बात उठाई थी. लेकिन रूस ने इस सुझाव को भी सिरे से खारिज कर दिया.

यूक्रेन का दावा
यूक्रेन और ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने रूस के इन कब्जों को अवैध करार दिया है. यूक्रेन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉर्जी टिखी ने कहा, "यूक्रेन की सीमाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य हैं. रूस का अपने संविधान का हवाला देकर इन कब्जों को सही ठहराना हास्यास्पद है." ज़ेलेंस्की ने माना है कि उनकी सेना के पास इन क्षेत्रों को सैन्य तरीके से वापस लेने के संसाधन नहीं हैं, लेकिन उनका कहना है कि कूटनीति से कुछ जमीन वापस ली जा सकती है.

इस्तांबुल वार्ता और नई उम्मीदें
अमेरिका और रूस के बीच कूटनीतिक पहल तेज हो गई है. इस महीने की शुरुआत में सऊदी अरब में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक के बाद, इस्तांबुल में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के निवास पर छह घंटे तक बातचीत चली. यह वार्ता जो बाइडेन प्रशासन के दौरान टूटे हुए राजनयिक संबंधों को बहाल करने की दिशा में थी. वार्ता के बाद रूसी प्रतिनिधिमंडल बिना कोई टिप्पणी किए वहां से चला गया. लेकिन गुरुवार को पुतिन ने कहा, "नई अमेरिकी सरकार के साथ शुरुआती संपर्क कुछ उम्मीद देता है. संबंधों को बहाल करने की आपसी इच्छा है."  पेस्कोव ने यह भी कहा कि यह प्रक्रिया आसान या तेज नहीं होगी. "कोई भी त्वरित फैसले की उम्मीद नहीं करता. लेकिन दोनों देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति और एक-दूसरे को सुनने की तैयारी से हम इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा सकते हैं."

ट्रम्प और ज़ेलेंस्की की मुलाकात
ज़ेलेंस्की शुक्रवार को ट्रम्प से मिलने वाले हैं, जहां अमेरिकी सहायता पर चर्चा होगी. इस मुलाकात में एक प्रारंभिक दस्तावेज पर हस्ताक्षर की उम्मीद है, जिसमें यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों तक अमेरिका को पहुंच देने की बात है. ट्रम्प ने इसे अमेरिकी सैन्य सहायता के बदले की शर्त रखी है. हालांकि, इस दस्तावेज में सुरक्षा गारंटी या अमेरिका की जिम्मेदारियों का जिक्र नहीं है, जिससे यूक्रेन में चिंता बढ़ रही है.

कीव में एक 39 साल के शिक्षक सर्गी ने कहा, "हम सुन रहे हैं कि हमें खनिज संसाधनों की आय साझा करनी होगी, लेकिन बदले में क्या मिलेगा, यह साफ नहीं है." वहीं, 30 साल के प्रोग्रामर मिकिता क्लेमिनोव ने कहा, "युद्ध खत्म होना अच्छा होगा, लेकिन सुरक्षा की गारंटी के बिना यह ज्यादा दिन नहीं टिकेगा."

यूरोप की चिंता और नए कदम
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर गुरुवार को ट्रम्प से मिले और यूक्रेन युद्धविराम के लिए अमेरिकी समर्थन की अपील की. उनका कहना था कि यह पुतिन को दोबारा हमला करने से रोकने का एकमात्र तरीका है. स्टार्मर बुधवार देर रात वाशिंगटन पहुंचे थे, जहां उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की यात्रा को आगे बढ़ाया. यूरोप में चिंता है कि ट्रम्प पुतिन के साथ बातचीत में यूक्रेन को कमजोर स्थिति में छोड़ सकते हैं.