Russia removed Taliban from the list of terrorist organizations: रूस के सुप्रीम कोर्ट ने तालिबान को अपने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों की सूची से हटा दिया है. यह निर्णय एक महत्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव को दर्शाता है, क्योंकि तालिबान को रूस ने 2003 से आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता दी थी. अब यह कदम तालिबान के लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि वह अफगानिस्तान में सत्ता में लौटने के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति प्राप्त करने की कोशिश कर रहा है.
रूस की कूटनीतिक रणनीति
हालांकि, रूस ने तालिबान को 'आतंकवादी संगठन' की लिस्ट से हटा दिया है, लेकिन इसके बावजूद उसने औपचारिक कूटनीतिक मान्यता नहीं दी है. रूस की विदेश नीति में तालिबान से जुड़ी मुलाकातों और चर्चाओं के बावजूद, रूस का रुख इसे 'सहयोगी' के रूप में ही दिखाता है, खासकर आतंकवाद के खिलाफ साझेदारी में. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तालिबान को "आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी" के रूप में वर्णित किया है, खासकर जब बात इस्लामिक स्टेट-खोरासन (IS-K) के खिलाफ संयुक्त प्रयासों की आती है.
कानूनी पहलू और तालिबान के लिए अवसर
रूस का यह निर्णय पिछले साल अपनाए गए एक कानून के तहत हुआ है, जिसमें यह प्रावधान था कि आतंकवादी संगठन के रूप में औपचारिक designation को कोर्ट द्वारा निलंबित किया जा सकता है. इससे तालिबान के लिए एक नए मौके का द्वार खुला है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर सकता है. हालांकि, रूस ने इस कदम को महज एक 'कानूनी प्रक्रिया' के रूप में पेश किया है, और यह स्पष्ट किया है कि वह तब तक तालिबान को औपचारिक कूटनीतिक मान्यता नहीं देगा जब तक कि वह अंतरराष्ट्रीय अपेक्षाओं को पूरा नहीं करता.
पड़ोसी देशों से तालमेल
रूस का यह कदम इस क्षेत्र के अन्य देशों की नीतियों से मेल खाता है. उदाहरण के लिए, कजाकिस्तान ने पिछले साल ही तालिबान को अपनी आतंकवादी संगठन की सूची से हटा दिया था, और चीन ने 2023 में काबुल में अपना राजदूत नियुक्त किया था. रूस ने अफगानिस्तान में व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय खोला है और उसे दक्षिण-पूर्व एशिया में ऊर्जा निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में देखा जाता है.
तालिबान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्वीकृति की दिशा
तालिबान के लिए रूस का यह निर्णय एक संकेत हो सकता है कि कुछ देश अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के साथ व्यावसायिक और कूटनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए तैयार हैं. हालांकि, रूस ने अभी तक इसे पूरी तरह से औपचारिक मान्यता नहीं दी है, लेकिन इसके बावजूद यह तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है.