अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापक टैरिफ की घोषणा की है, जिसमें लगभग सभी देशों पर न्यूनतम 10% शुल्क लगाया जाएगा, जबकि करीब 60 देशों पर इससे भी ऊंची दरें लागू होंगी. हैरानी की बात यह है कि इस सूची में रूस का नाम शामिल नहीं है. ट्रंप ने घोषणा के दौरान एक बोर्ड दिखाया, जिसमें 50 देशों के नाम और उनके द्वारा अमेरिका पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में अमेरिकी शुल्क का विवरण था. हालांकि, रूस का नाम गायब था.
रूस को क्यों छूट?
प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने Axios को बताया, "रूस को इसलिए छोड़ा गया क्योंकि मौजूदा अमेरिकी प्रतिबंधों ने वहां के साथ सार्थक व्यापार को पहले ही रोक दिया है." फिर भी, अमेरिका का रूस के साथ व्यापार कई सूचीबद्ध देशों, जैसे मॉरीशस और ब्रूनेई से अधिक है. टैरिफ सूची में छोटे क्षेत्र जैसे दक्षिण प्रशांत का टोकेलाउ (जनसंख्या 1,500) और आर्कटिक सर्कल का स्वालबार्ड (जनसंख्या 2,500) भी शामिल हैं, जो क्रमशः न्यूजीलैंड और नॉर्वे के अधीन हैं. लेविट ने स्पष्ट किया कि क्यूबा, बेलारूस और उत्तर कोरिया भी पहले से मौजूद उच्च टैरिफ और प्रतिबंधों के कारण बाहर रखे गए.
अमेरिका-रूस व्यापार और संबंध
अमेरिका-रूस व्यापार 2021 में 35 अरब डॉलर से घटकर पिछले साल 3.5 अरब डॉलर हो गया, जो यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद लगे प्रतिबंधों का नतीजा है. हाल ही में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में रूस का साथ दिया. यूएनजीए में यूरोप द्वारा तैयार मॉस्को की निंदा और यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता के समर्थन वाले प्रस्ताव के खिलाफ अमेरिका ने वोट किया. इसके बाद यूएनएससी में अमेरिका समर्थित प्रस्ताव को मंजूरी दी गई, जिसमें रूस को आक्रामक नहीं कहा गया. व्हाइट हाउस ने कहा, "18 मार्च 2025 को ट्रंप और पुतिन के बीच बातचीत में दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि बेहतर द्विपक्षीय संबंधों से आर्थिक सौदों और भू-राजनीतिक स्थिरता में बड़ा लाभ होगा."
ट्रंप की रणनीति पर सवाल
Forbes की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप रूस के साथ व्यापार बढ़ाना चाहते हैं, जबकि अन्य देशों पर टैरिफ से व्यापार सीमित कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि कनाडा, मैक्सिको और यूरोप रूस की तुलना में कहीं अधिक व्यावसायिक संभावनाएं रखते हैं. अमेरिका का रूस के साथ व्यापार घाटा भी बड़ा है, जो ट्रंप की नीति से मेल नहीं खाता.