'चीन के छात्र अमेरिका में नहीं पढ़ने चाहिए', रिपब्लिकंस ने क्यों उठाई ये मांग, संसद में पेश किया बिल

इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को आधार बनाकर चीनी नागरिकों को स्टूडेंट वीजा देने पर प्रतिबंध लगाना है. रिपब्लिकन सांसद राइली मूर ने इस विधेयक को पेश करते हुए कहा कि चीनी छात्रों को वीजा देकर अमेरिका ने अनजाने में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को अपने सैन्य रहस्यों की जासूसी करने, बौद्धिक संपदा चुराने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का मौका दे दिया है.

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसदों ने एक ऐसा विधेयक पेश किया है, जो चीनी छात्रों को अमेरिकी स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने से रोकने की मांग करता है. शुक्रवार को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में यह प्रस्ताव रिपब्लिकन सांसद राइली मूर द्वारा पेश किया गया. इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को आधार बनाकर चीनी नागरिकों को स्टूडेंट वीजा देने पर प्रतिबंध लगाना है. हालांकि, इस प्रस्ताव को पारित होने की संभावना कम है, लेकिन इसने देश-विदेश में तीखी आलोचनाओं को जन्म दिया है.

प्रस्ताव के पीछे की वजह
राइली मूर के साथ पांच अन्य रिपब्लिकन सांसदों ने इस विधेयक का समर्थन किया है. मूर का कहना है कि चीनी छात्रों को वीजा देकर अमेरिका ने अनजाने में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को अपने सैन्य रहस्यों की जासूसी करने, बौद्धिक संपदा चुराने और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने का मौका दे दिया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि अमेरिका चीनी नागरिकों को स्टूडेंट वीजा देना तुरंत बंद कर दे.

चीन की प्रतिक्रिया
वाशिंगटन में चीनी दूतावास के प्रवक्ता लियू पेंग्यू ने इस विधेयक की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि चीन इस तरह के कदमों पर गहरी चिंता जताता है और इसका पुरजोर विरोध करता है. पेंग्यू ने यह भी जोड़ा कि शिक्षा और सहयोग लंबे समय से चीन-अमेरिका संबंधों के विकास का एक मजबूत आधार रहा है और इस तरह के कदम दोनों देशों के रिश्तों को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

विद्वानों और संगठनों का विरोध
अंतरराष्ट्रीय शिक्षकों के संगठन NAFSA की कार्यकारी निदेशक फंता अव ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति को सिर्फ उसकी राष्ट्रीयता के आधार पर निशाना बनाना गलत है. उन्होंने इसे नस्लभेदी और चीन विरोधी भावनाओं का परिणाम बताया, जो अमेरिका के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है. वहीं, एशियन अमेरिकन स्कॉलर्स फोरम ने चेतावनी दी कि यह विधेयक न केवल एशियाई मूल के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए नुकसानदायक होगा, बल्कि अमेरिका की विज्ञान और नवाचार में अग्रणी स्थिति को भी कमजोर करेगा. येल लॉ स्कूल की शोधकर्ता यांगयांग चेंग ने कहा कि इस तरह का कानून शैक्षणिक स्वतंत्रता को सीमित करने और उच्च शिक्षा को नुकसान पहुंचाने की व्यापक कोशिश का हिस्सा है. यह तय करने की कोशिश है कि क्या पढ़ाया जाए, कौन से शोध किए जाएं और कक्षा व प्रयोगशालाओं तक किसकी पहुंच हो.

अमेरिका में चीनी छात्र
इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 के शैक्षणिक वर्ष में अमेरिकी विश्वविद्यालयों में 2,77,000 से अधिक चीनी छात्र पढ़ रहे थे, जो कुल अंतरराष्ट्रीय छात्रों का एक चौथाई हिस्सा है. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में चीनी छात्रों की संख्या में कमी आई है और 2023 में भारत ने चीन को पीछे छोड़कर अमेरिका में सबसे अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्र भेजने वाला देश बन गया.

पहले भी उठे ऐसे कदम
2023 में फ्लोरिडा ने एक कानून पारित किया था, जिसके तहत राज्य के विश्वविद्यालयों में चीन और छह अन्य देशों के छात्रों को ग्रेजुएट असिस्टेंट और पोस्टडॉक पदों पर नियुक्ति से रोक दिया गया था. इस कानून को अदालत में चुनौती दी गई है. इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के चलते कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने चीनी स्कूलों के साथ अपने शैक्षणिक सहयोग को खत्म कर दिया है.यह विधेयक अमेरिका-चीन संबंधों में तनाव और राजनीतिक मतभेदों को उजागर करता है, जिसका असर शिक्षा और वैश्विक सहयोग पर पड़ सकता है.