S Jaishankar: म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में शुक्रवार को एक पैनल चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी लोकतंत्र को लेकर अपनी स्पष्ट राय रखी. उन्होंने कहा कि पश्चिम अक्सर लोकतंत्र को अपनी विशेषता मानता है, लेकिन भारत ने साबित किया है कि लोकतंत्र केवल पश्चिमी देशों तक सीमित नहीं है. उन्होंने इस चर्चा में भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को रेखांकित किया और पश्चिमी देशों की दोहरी नीतियों पर सवाल उठाए.
लोकतंत्र वैश्विक संकट में? जयशंकर का तगड़ा तर्क
आपको बता दें कि जयशंकर से जब यह पूछा गया कि क्या वैश्विक लोकतंत्र संकट में है, तो उन्होंने इससे असहमति जताई. उन्होंने कहा, ''मुझे खेद है, लेकिन मैं इससे सहमत नहीं हूं. हम अच्छी तरह से रह रहे हैं, अच्छी तरह से मतदान कर रहे हैं और हमें अपने लोकतंत्र की दिशा को लेकर आशावाद है.'' वहीं उन्होंने भारतीय लोकतंत्र के मजबूत आधार को रेखांकित करते हुए बताया कि भारत में मतदान की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है. बता दें कि ''भारतीय चुनावों में लगभग दो-तिहाई योग्य मतदाता मतदान करते हैं. 900 मिलियन मतदाताओं में से लगभग 700 मिलियन लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं.'' उन्होंने यह भी जोड़ा कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद कोई विवाद नहीं करता. यह भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती को दर्शाता है.
Started the #MSC2025 with a panel on ‘Live to Vote Another Day: Fortifying Democratic Resilience’. Joined PM @jonasgahrstore, @ElissaSlotkin and @trzaskowski_.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 14, 2025
Highlighted India as a democracy that delivers. Differed with the prevailing political pessimism. Spoke my mind on… pic.twitter.com/h3GUmeglst
'लोकतंत्र भोजन की व्यवस्था नहीं करता' – अमेरिकी सीनेटर को करारा जवाब
बताते चले कि पैनल चर्चा के दौरान अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लोटकिन ने कहा था कि ''लोकतंत्र भोजन की व्यवस्था नहीं करता.'' इस पर जयशंकर ने तुरंत जवाब देते हुए कहा, ''दरअसल, दुनिया के मेरे हिस्से में ऐसा होता है. क्योंकि हम एक लोकतांत्रिक समाज हैं, हम 800 मिलियन लोगों को पोषण सहायता और भोजन देते हैं. उनके लिए यह मायने रखता है कि वे कितने स्वस्थ हैं और उनका पेट कितना भरा हुआ है.'' उन्होंने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि लोकतंत्र न केवल अधिकार देता है, बल्कि जिम्मेदारी भी निभाता है. भारत ने यह साबित किया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी गरीबों की देखभाल संभव है.
''पश्चिम को दूसरों की सफलता से सीखना चाहिए''
आपको बता दें कि जयशंकर ने आगे यह भी कहा कि पश्चिम हमेशा लोकतंत्र को अपनी विशेषता मानता रहा है, लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने कई बार गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा दिया है. ''हमारे हिस्से में एक समय ऐसा था जब पश्चिम लोकतंत्र को एक पश्चिमी विशेषता मानता था और वैश्विक दक्षिण में गैर-लोकतांत्रिक ताकतों को प्रोत्साहित करने में व्यस्त था.'' उन्होंने यह भी कहा कि अगर पश्चिम चाहता है कि लोकतंत्र सफल हो, तो उसे दूसरे देशों के सफल लोकतांत्रिक मॉडलों को भी अपनाना चाहिए.
In conversation with PM @jonasgahrstore, @ElissaSlotkin and @trzaskowski_ on the topic ‘Live to Vote Another Day: Fortifying Democratic Resilience’ at #MSC2025.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 14, 2025
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हालांकि, जयशंकर ने अपनी बात बेबाकी से रखते हुए स्पष्ट किया कि लोकतंत्र केवल एक विचारधारा नहीं, बल्कि एक व्यवहारिक व्यवस्था है. भारत ने न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनाया है, बल्कि इसे सफलतापूर्वक कार्यान्वित भी किया है. पश्चिमी देशों को यह समझना होगा कि लोकतंत्र किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक अवधारणा है, जो सही नेतृत्व और नीति निर्माण के साथ मजबूत हो सकता है.