ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है. वेटिकन ने जानकारी देते हुए सोमवार को एक वीडियो बयान में कहा कि रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी पोप फ्रांसिस नहीं रहे. वह 88 वर्ष के थे और अपने 12 साल के पोपीय कार्यकाल में उन्हें कई बीमारियों का सामना करना पड़ा था. वेटिकन के मुताबिक स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजकर 35 मिनट पर पोल का निधन हुआ.
पोप को अपने 12 साल के कार्यकाल में कई बीमारियों का सामना करना पड़ा था. अपने कार्यकाल के आखिरी कुछ महीनों में उन्हें कई बार अस्पताल जाना पड़ा और उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं भी रहीं. फ्रांसिस, जिनका जन्म अर्जेंटीना में जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के रूप में हुआ था, अमेरिका से आने वाले पहले पोप थे. उनको 14 फरवरी को रोम के जेमेली अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनका निमोनिया और एनीमिया का इलाज भी चल रहा था.
47 विदेश यात्राएं कीं
76 साल की उम्र में पोप चुने जाने के बाद उन्होंने प्रभाव डालने के लिए बहुत तेज़ी से काम किया. 12 साल से ज़्यादा समय में उन्होंने वेटिकन की नौकरशाही को पुनर्गठित किया, चार प्रमुख शिक्षण दस्तावेज़ लिखे, 65 से ज़्यादा देशों की 47 विदेश यात्राएं कीं और 900 से ज़्यादा संतों की रचना की.
महिलाओं को वेटिकन कार्यालयों के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया
प्रमुख कामों में उन्होंने पादरियों को समलैंगिक दम्पतियों को मामला-दर-मामला आधार पर आशीर्वाद देने की अनुमति दी तथा पहली बार महिलाओं को वेटिकन कार्यालयों के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया. उन्होंने महिलाओं के समन्वय और चर्च की यौन शिक्षाओं में बदलाव जैसे विवादित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विश्व के कैथोलिक बिशपों के पांच प्रमुख वेटिकन शिखर सम्मेलनों का भी आयोजन किया था.