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India Daily

Israel Hamas War: जंग के बीच बढ़ीं पीएम बेंजामिन की मुश्किलें, खुल गया पुराना मामला

Israel Hamas War: बेंजामिन नेतन्याहू इजरायल के सबसे लंबे कार्यकाल तक पीएम रहने वाले शख्स हैं. बेंजामिन ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दुर्भावना के बदले उन पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं.इनका मकसद उन्हें कुर्सी से हटाना है.

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Edited By: Shubhank Agnihotri
benjamin

हाइलाइट्स

  • सजा या जुर्माना दोनों का है प्रावधान 
  • न्यायिक सुधार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

Israel Hamas War: हमास के साथ युद्ध के बीच इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ गई हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, उनके ऊपर भ्रष्टाचार और विश्वास के उल्लंघन का मामला फिर से शुरू होने जा रहा है. सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद उन पर चल रही सुनवाई को बंद कर दिया था. यह सुनवाई कानून मंत्री के विशेष आग्रह पर बंद की गई थी. सोमवार को यरूशेलम की विशेष अदालत ने यह बेंजामिन के खिलाफ कार्रवाई फिर से शुरू कर दी है.

सजा या जुर्माना दोनों का है प्रावधान 

इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन के ऊपर करप्शन, ब्राइब, ब्रीच ऑफ ट्रस्ट का आरोप है. वर्ष 2019 में उनके खिलाफ तीन मामले दर्ज कराए गए थे. इस मामले में उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने राजनीतिक समर्थन के बदले हॉलीबुड प्रोड्यूसर मिलचैन और ऑस्ट्रेलियाई कारोबारी जेम्स पैकर से तोहफे लिए हैं. इन आरोपों में कहा गया है कि उन्होंने गिफ्ट में शैंपेन और सिगार लिए थे. इजरायली कानून के मुताबिक, इस मामले में उन्हें 10 साल की जेल या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है. बीच ऑफ ट्रस्ट मामले में तीन साल की कैद का भी प्रावधान है. 

इजरायल के सबसे ज्यादा समय तक पीएम रहने वाले शख्स  

आपको बता दें कि बेंजामिन नेतन्याहू इजरायल के सबसे लंबे कार्यकाल तक पीएम रहने वाले शख्स हैं. बेंजामिन ने अपने ऊपर लगाए गए सभी आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दुर्भावना के बदले उन पर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं.इनका मकसद उन्हें कुर्सी से हटाना है. रिपोर्ट के अनुसार, यह केस बीते चार सालों से चल रहा है. हालांकि कोरोना और अब युद्ध की वजह से यह सुनवाई बार-बार रूक रही. 

न्यायिक सुधार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन 

न्यायिक व्यवस्था में परिवर्तन के कारण उनकी सरकार के खिलाफ लंबे समय तक प्रदर्शन होते रहे. आलोचकों ने कहा कि यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता है तो न्याय व्यव्स्था का राजनीतिकरण हो जाएगा और इजरायली अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान पहुंचेगा.