Panama Canal Dispute: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पनामा नहर को लेकर विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा कि पनामा से गुजरने वाले अमेरिकी जहाजों से अनुचित शुल्क लिया जा रहा है और यह स्थिति देखकर लगता है कि पनामा नहर का नियंत्रण अमेरिका को वापस मिलना चाहिए.
ट्रंप के इस बयान पर पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने तीखी प्रतिक्रिया दी और कहा कि पनामा से गुजरने वाले जहाजों से लिया जाने वाला शुल्क विशेषज्ञों द्वारा निर्धारित किया जाता है. मुलिनो ने साफ तौर पर कहा कि पनामा नहर पनामा का है और यह हमेशा रहेगा.
ट्रंप ने अपने बयान में यह भी कहा कि पनामा द्वारा वसूला जा रहा शुल्क अमेरिकी नौसेना और व्यापारियों के लिए अनुचित है और यह स्थिति जल्द सुधारनी चाहिए. उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर पनामा नहर का संचालन सुरक्षित और विश्वसनीय तरीके से नहीं होता, तो अमेरिका को यह नहर पूरी तरह से वापस मिलनी चाहिए. उनका कहना था कि अगर नैतिक और कानूनी सिद्धांतों का पालन किया जाए, तो पनामा नहर को जितना जल्दी हो सके अमेरिका को लौटाया जाए.
अमेरिका का 14 फीसदी व्यापार पनामा के भरोसे
पनामा नहर का वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण स्थान है. यह नहर 82 किलोमीटर लंबी है और अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ती है. विश्व के छह प्रतिशत समुद्री व्यापार का संचालन इसी नहर से होता है. अमेरिका के लिए भी यह नहर बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका का 14 प्रतिशत व्यापार पनामा नहर के जरिए होता है. एशिया से कैरेबियाई देशों में माल भेजने के लिए भी जहाजों को पनामा नहर से गुजरना पड़ता है. यदि इस नहर पर नियंत्रण को लेकर कोई विवाद पैदा होता है, तो यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर सकता है.
क्या है पनामा नहर का इतिहास
पनामा नहर का निर्माण 1881 में फ्रांस द्वारा शुरू किया गया था, लेकिन 1904 में अमेरिका ने इसे अपने हाथ में लिया और 1914 में इसका निर्माण पूरा किया. इसके बाद तक पनामा नहर पर अमेरिका का नियंत्रण रहा, लेकिन 1999 में पनामा ने इसका नियंत्रण हासिल किया. वर्तमान में पनामा कैनाल अथॉरिटी इसके संचालन और प्रबंधन का जिम्मा संभालती है.