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Palestine Status: फिलिस्तीन को 3 देशों ने दी मान्यता, आखिर इससे क्या बदल जाएगा?

Palestine: फिलिस्तीन को तीन और देशों की ओर से देश का दर्जा मिलने के बाद इजरायल को झटका लगा है. इजरायल और हमास की जंग के बीच इन दिनों का यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है.

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Edited By: India Daily Live
Palestine
Courtesy: Social Media

इजरायल और हमास के बीच करीब 8 महीने से जंग चल रही है. इस जंग में अभी तक 50 हजार से ज्यादा लोगों के मरने की आशंका जताई जा रही हैं. इस जंग को रोकने के लिए अनेक देशों ने कई तरह के सुझाव दिए. ऐसे में एक सुझाव यह भी है कि दोनों देशों के बीच आपसी सहमति बन जाए. इसी बीच आयरलैंड, स्पेन और नॉर्वे ने फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देने की बात कह दी है. एक तरफ फिलिस्तीन के लिए यह फैसला उसके वजूद को बनाने का है तो दूसरी तरफ इजरायल के लिए यह फैसला झटका देने वाला है. ऐसा पहली बार हुआ है कि ये यूरोपीय देश इजरायल को छोड़कर फिलिस्तीन की तरफ रुख कर रहे हैं. 

10 मई को संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक हुआ. इस बैठक में फिलीस्तीन को सदस्यता देने का मुद्दा उठा. महासभा के 193 देशों में से 143 देशों ने फिलिस्तीन के पक्ष में वोट दिए. इस समय फिलिस्तीन को महासभा ने पर्यवेक्षक या ऑब्जर्वर का दर्जा दिया हुआ है. इसकी वजह से फिलिस्तीन संयुक्त राष्ट्र की महासभा की बैठक में सिर्फ बैठ सकता है, वोट नहीं दे सकता. इसके अलावा फिलीस्तीन को कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी देश की मान्यता दी है. इनमें अरब लीग और ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन अर्थात ओआई जैसे संगठन शामिल हैं.

देश की मान्यता मिलने से क्या होगा?
 
ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने आयरलैंड, स्पेन और नार्वे के इस कदम का स्वागत किया है. इस संगठन ने कहा कि इन राष्ट्रों के कदम से फिलिस्तीन की अतंरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनेगी और इससे फिलिस्तीनियों के अधिकारों को मजबूती मिलेगी. आयरलैंड, स्पेन और नार्वे के अलाव और भी यूरोपीय देश हैं. जिन्होने फिलिस्तीन को एक देश की मान्यता दी है. इसमें शामिल हैं हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया, बुल्गारिया. इन देशों ने फिलिस्तीन की तरफ अपना रुख 1988 में ही कर लिया था. फिलिस्तीन को देश का दर्जा मिलने पर विश्व की सभी बड़ी संस्थाओं में इसे सदस्यता मिलने में आसानी हो जाएगी. इससे फिलिस्तीन विकास की वैश्विक धारा का भागीदार बन जाएगा. 

अभी संयुक्त राष्ट्र महासभा में कुल 193 देश हैं, जिसमें से 139 देश फिलिस्तीन को देश का दर्जा दे चुके हैं. इसमें अफ्रीका, यूरोप ओर एशिया के कई देश शामिल हैं लेकिन कुछ बड़े देश जैसे कनाडा, अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया जैसे विकसित देशों ने फिलिस्तीन को देश का दर्जा नहीं दिया है. अगर आयरलैंड, स्पेन और नार्वे ने ऑफिसियल रूप मान्यता दे दी तो इसकी संख्या 142 हो जाएगी. 

भारत और फिलिस्तीन 

भारत ने हमेशा से फिलिस्तीन का समर्थन किया है. भारत के विदेश मंत्रालय का कहना है कि फिलीस्तीन का मुद्दा भारत की विदेश नीति का एक अभिन्न अंग है. भारत 1974 में यासिर अराफत की अगुवाई वाले फिलिस्तीन मुक्ति संगठन को मान्यता देने वाला पहला गैर अरब देश है. कुछ जानकार यह भी कहते हैं कि उस समय भारत की पीएम इंदिरा गांधी और यासिर अराफात के बीच काफी अच्छे संबंध थे. 

साल 1988 में भारत फिलिस्तीन को देश का दर्जा देने वाले देशों में से एक बना. साल1996 में भारत ने गजा में अपना प्रतिनिधि कार्यालय भी खोला. भारत ने इजरायल और फिलिस्तीन के विवाद में हमेशा संतुलन की स्थिति रखी है. दोनों देशों से उसकी अच्छी दोस्ती रही है. अक्तूबर 2023 में जब हमास ने इजराइल पर हमला किया था तो पीएम मोदी ने इसे आतंकवादी हमला बताया था और इजराइल के साथ खड़े रहने की बात कही थी.