चीन के स्पेस स्टेशन में मिली पाकिस्तानी को जगह, इस मिशन में पहली बार विदेशी अंतरिक्ष यात्री

चीन ने अपने अंतरिक्ष स्टेशन में पहले विदेशी नागरिक के रूप में एक पाकिस्तानी नागरिक को भेजने की योजना की घोषणा की है. यह कदम चीन और पाकिस्तान के बीच अंतरिक्ष संबंधों को मजबूत करने के लिए कई संयुक्त कार्यक्रमों का हिस्सा है.

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China Pakistan Space: चीन ने पाकिस्तान के साथ एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत वह अपने अंतरिक्ष स्टेशन तियांगोंग पर एक पाकिस्तानी अंतरिक्ष यात्री को भेजेगा. यह पहली बार होगा जब कोई विदेशी नागरिक इस चीनी अंतरिक्ष सुविधा का हिस्सा बनेगा.

आपको बता दें कि शुक्रवार को इस्लामाबाद में आयोजित एक समारोह के दौरान चीन मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी (CMSA) और पाकिस्तान के अंतरिक्ष और ऊपरी वायुमंडल अनुसंधान आयोग (SUPARCO) के बीच इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी मौजूद रहे. CMSA के अनुसार, दोनों देश पाकिस्तानी अंतरिक्ष यात्रियों के चयन और प्रशिक्षण में सहयोग करेंगे. चुने गए उम्मीदवार को आने वाले वर्षों में एक अल्पकालिक मिशन के लिए चीनी अंतरिक्ष यात्रियों (ताइकोनॉट्स) के साथ भेजा जाएगा.

चीन और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष प्रतिस्पर्धा का नया दौर

बताते चले कि चीन का तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन पिछले चार वर्षों से सक्रिय है. इसका निर्माण तब हुआ था जब चीन को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से बाहर रखा गया था. यह अंतरिक्ष क्षेत्र में चीन और अमेरिका के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा का एक नया मोर्चा भी माना जाता है.

पाकिस्तान की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को चीन का समर्थन

वहीं बताते चले कि समझौता पाकिस्तान की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को और मजबूती देगा. इससे पहले भी चीन ने पाकिस्तान के उपग्रह मिशनों में सहयोग किया है. पाकिस्तान का पहला डिजिटल संचार उपग्रह बद्र-1 1990 में चीन के लॉन्ग मार्च 2E रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था. हाल ही में, पाकिस्तान का क्यूबसैट चीन के चांग'ए-6 मिशन के साथ चंद्रमा पर भेजा गया था.

अंतरिक्ष यात्री चयन और प्रशिक्षण की प्रक्रिया

ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, पाकिस्तानी अंतरिक्ष यात्री के चयन में लगभग एक वर्ष का समय लगेगा, इसके बाद उसे चीन में गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चीन की अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी की विश्वसनीयता को दर्शाता है और विकासशील देशों के लिए अंतरिक्ष अभियानों में भाग लेने की बाधाओं को कम करता है.

चीन और अमेरिका के चंद्र मिशन

इसके अलावा, चीन ने 2030 से पहले चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है, जबकि अमेरिका 2025 तक चंद्र सतह पर लौटने की योजना बना रहा है.