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पाकिस्तान की 'इंदिरा' थी बेनजीर भुट्टो, जानें कैसा था हॉस्टल प्रेसिडेंट से आयरन लेडी बनने तक का सफर

Benazir Bhutto: बेनजीर भुट्टो का नाम पाकिस्तान के इतिहास में एक चमकते सितारे की तरह है. वह पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री होने के लिए जानी जाती हैं, लेकिन उनके जीवन से जुड़े कुछ अनोखे किस्से उन्हें और भी खास बना देते हैं.

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Edited By: India Daily Live
Benazir Bhutto Indira Gandhi

Benazir Bhutto: बेनजीर भुट्टो को पाकिस्तान की इंदिरा गांधी के रूप में जाना जाता है. इन दोनों महिलाओं ने न केवल अपने देशों में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई. बेनजीर भुट्टो की यात्रा एक महत्वाकांक्षी छात्रा से लेकर दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनने वाली लोहे की महिला बनने तक की प्रेरक कहानी है.

बेनजीर भुट्टो 1953 में सिंध, पाकिस्तान के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार में पैदा हुईं. उनके पिता, जुल्फिकार अली भुट्टो, पाकिस्तान के भविष्य के प्रधानमंत्री थे.  बेनजीर को शिक्षा के महत्व पर बल दिया गया और उन्होंने ईरान और पाकिस्तान में अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की. बाद में उन्होंने ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के लेडी मार्गरेट हॉल में दर्शनशास्त्र, राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र में डिग्री हासिल की.

बचपन से थी लीडरशिप की स्किल

लेडी मार्गरेट हॉल में पढ़ाई के दौरान, बेनजीर के लीडरशिप स्किल को निखारा गया. उन्हें हॉल की प्रेसिडेंट चुना गया, जहां छात्राएं उन्हें "प्रेसीडेंट बीबी" कहती थीं. यहीं से उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के बीज पड़े और उन्होंने छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया. वह ऑक्सफर्ड यूनियन की पहली एशियाई महिला अध्यक्ष भी बनीं, जो उनकी लीडरशिप स्किल की क्षमता का प्रमाण है.

राजनीतिक तख्तापलट और देश निकाला

अपने पिता की विरासत को संभालते हुए, बेनजीर 1970 के दशक में पाकिस्तान की राजनीति में शामिल हो गईं. 1977 में, उनके पिता को एक सैन्य तख्तापलट में सत्ता से बेदखल कर दिया गया और बाद में फांसी दे दी गई.  बेनजीर को भी गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें देश निकाला का सामना करना पड़ा. इस दौरान उन्होंने हार्वर्ड यूनियन में पढ़ाई की और कम्पैरिटिव गर्वनमेंट में पीएच.डी. की डिग्री हासिल की. देश निकाला में रहते हुए भी, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया और अपनी कूटनीतिक क्षमता का लोहा मनवाया.

वतन वापसी और राजनीतिक मुश्किलें

1980 के दशक के अंत में पाकिस्तान लौटने पर, बेनजीर ने अपने पिता द्वारा स्थापित पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की कमान संभाली. उन्होंने देश में लोकतंत्र की बहाली के लिए अभियान चलाया और 1988 में पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. हालांकि, उनका कार्यकाल अशांत रहा. उन्हें आतंकवाद, नशे की तस्करी, और आर्थिक अस्थिरता जैसी मुश्किल चुनौतियों का सामना करना पड़ा. इसके अलावा, उन्हें सैन्य विरोधाभासों से भी जूझना पड़ा, जिससे पाकिस्तान की राजनीति में नागरिक शासन और सेना के बीच चल रहे टकराव को उजागर किया गया.

आयरन लेडी के नाम से हुई मशहूर

बेनजीर अपने दृढ़ संकल्प, मजबूत फैसलों और विरोधियों को चुनौती देने के लिए जानी जाती थीं. मीडिया ने उन्हें "आयरन लेडी" का उपनाम दिया, जो इंदिरा गांधी की उपाधि के समान था. यह उनकी कठोरता और पाकिस्तान की समस्याओं से निपटने के अडिग रवैये को दर्शाता है. 

अपने दोनों कार्यकालों के दौरान (1988-1990 और 1993-1996), बेनजीर ने आर्थिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने निजीकरण को बढ़ावा दिया और फॉरेन इन्वेस्टमेंट को आकर्षित करने का प्रयास किया. सामाजिक क्षेत्र में, उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ाने के लिए कार्य किया.

संघर्षों से भरा रहा जिंदगी का सफर

बेनजीर भुट्टो का राजनीतिक जीवन कुछ अलग कर गुजरने को समर्पित रहा. उन्होंने लोकतंत्र और नागरिक शासन के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन उन्हें सैन्य प्रतिष्ठान से लगातार विरोध का सामना करना पड़ा. वह एक मुस्लिम देश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, लेकिन उन्हें रूढ़िवादी तत्वों से भी आलोचना का सामना करना पड़ा. हालांकि, बेनजीर भुट्टो ने पाकिस्तान की राजनीति और समाज पर एक स्थायी छाप छोड़ी. उन्होंने महिला सशक्तिकरण और सामाजिक न्याय के लिए लड़ाई लड़ी और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक मजबूत आवाज दी.

दुखद अंत पर खत्म हुआ जीवन का सफर

27 दिसंबर 2007 को, एक आत्मघाती हमले में बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी.  यह पाकिस्तान और दुनिया के लिए एक बड़ा नुकसान था. बेनजीर भुट्टो एक प्रेरक नेता थीं, जिन्होंने कई बाधाओं को पार किया.  उनकी यात्रा हॉस्टल प्रेसीडेंट से लेकर पाकिस्तान की आयरन लेडी बनने तक की थी.  उनकी विरासत आज भी पाकिस्तान और दुनिया भर में लोगों को प्रेरित करती है.