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Pak Punjab 1st Sikh minister: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पहली बार सिख बना मंत्री, रमेश सिंह अरोड़ा के बारे में जानें सबकुछ

Pakistan Punjab first Sikh minister: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को रमेश सिंह अरोड़ा के रूप में पहला सिख मंत्री मिला है. मंत्री बनने के बाद अरोड़ा ने कहा कि वे पंजाब प्रांत में अंतरधार्मिक सद्भाव पर काम करेंगे, ताकि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक वहां रहकर खुद को सुरक्षित महसूस कर पाएं.

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Edited By: India Daily Live
Pakistan Punjab first Sikh minister Ramesh Singh Arora

Pakistan Punjab first Sikh minister:  पाकिस्तान के पंजाब को रमेश सिंह अरोड़ा के रूप में पहला सिख मंत्री मिला है. नरोवाल से विधायक चुने गए 48 साल के रमेश सिंह अरोड़ा ने बुधवार को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मंत्री पद की शपथ ली. मंत्री पद की शपथ लेने वाले वे अल्पसंख्यक सिख समुदाय से पहले व्यक्ति हैं.

नरोवाल से प्रांतीय असेंबली (एमपीए) के तीन बार के सदस्य अरोड़ा ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज की बेटी और मुख्यमंत्री मरियम नवाफ शरीफ के नेतृत्व वाली हाल ही में निर्वाचित पाकिस्तान मुस्लिम लीग (पीएमएल-एन) सरकार के मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में शपथ ली. मरियम के चाचा शहबाज शरीफ हाल ही में पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री चुने गए हैं.

रमेश सिंह अरोड़ा ने कहा कि रमेश सिंह अरोड़ा के हाल ही में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (पीएसजीपीसी) का चीफ भी चुना गया था. फोन पर इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अरोड़ा ने कहा कि 1947 में विभाजन के बाद ये पहली बार है कि किसी सिख को कैबिनेट में शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि न सिर्फ पंजाब प्रांत के बल्कि पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं और ईसाइयों समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और भलाई के लिए काम करूंगा.

अरोड़ा को मिल सकता है अल्पसंख्यक मामलों का विभाग

अरोड़ा को अल्पसंख्यक मामलों के विभाग का विभाग मिलने की संभावना है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान, खासकर पंजाब में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए मेरे पास पहले से ही कई योजनाएं हैं. यहां सिख विवाह अधिनियम पारित किया गया था, लेकिन इसे अभी तक लागू नहीं किया गया है. हम इसे पूरा कर लेंगे. हम एक नई अंतरधार्मिक सद्भाव नीति भी लाएंगे ताकि सिख, हिंदू, ईसाई और अन्य समेत सभी अल्पसंख्यक सुरक्षित महसूस करें. हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि पाकिस्तान के शैक्षणिक संस्थानों में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए 2 प्रतिशत कोटा अक्षरशः लागू किया जाए.

कौन हैं रमेश सिंह अरोड़ा?

  • गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी, लाहौर से एंटरप्रन्योरशीप और SME मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले अरोड़ा ने राजनीति में आने से पहले पाकिस्तान में विश्व बैंक के गरीबी निवारण कार्यक्रम के लिए काम किया है.
  • 2008 में, उन्होंने मोजाज़ फाउंडेशन की स्थापना की, जो पाकिस्तान में वंचितों और निराश्रितों के लिए काम करने वाला संगठन है.
  • पाकिस्तान में हाल ही में हुए चुनावों में अरोड़ा को नरोवाल से एमपीए के रूप में फिर से चुना गया. इसी इलाके में गुरु नानक का अंतिम विश्राम स्थल गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब भी है.
  • पिछले साल, उन्हें करतारपुर कॉरिडोर के लिए राजदूत के रूप में भी नियुक्त किया गया था. अरोड़ा के बड़े भाई भाई गोबिंद सिंह करतारपुर गुरुद्वारे में मुख्य ग्रंथी के रूप में कार्यरत हैं
  • 1947 में विभाजन के दौरान, उनके परिवार ने बहुसंख्यक सिख/हिंदू परिवारों की तरह भारत में प्रवास करने के बजाय पाकिस्तान में ही रहने का विकल्प चुना था.
  • अरोड़ा का जन्म ननकाना साहिब में हुआ था, लेकिन बाद में उनके परिवार नरोवाल चले गए. रमेश सिंह अरोड़े के दादाजी ने अपने दोस्त के आग्रह पर विभाजन के दौरान पाकिस्तान में ही रहने का विकल्प चुना था.

अरोड़ा ने कहा कि पंजाब प्रांत में जिन इलाकों में अल्पसंख्यक रहते हैं, वहां अभी भी विकास का अभाव है. हम ये सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को समान दर्जा, अवसर और बुनियादी ढांचे तक पहुंच मिले. उन्हें उपेक्षित महसूस नहीं करना चाहिए. 

पाकिस्तान में घटती सिख और हिंदू आबादी के बारे में पूछे जाने पर अरोड़ा ने कहा कि नई अंतरधार्मिक नीति इन मुद्दों का समाधान करेगी.उन्होंने कहा कि न केवल सिख तीर्थस्थलों के लिए बल्कि हिंदू और ईसाई स्थलों के लिए भी पर्यटन को बढ़ावा दिया जाएगा. कुछ रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान में लगभग 17 हजार से 20 हजार तक सिख और 20 लाख से अधिक हिंदू बचे हैं. अधिकांश सिख ननकाना साहिब, लाहौर और पेशावर में या उसके आसपास रहते हैं. 

बताया, राजनीतिक में क्यों आए?

अरोड़ा ने बताया कि मैं पीएमएल (एन) के वरिष्ठ नेता अहसान इकबाल चौधरी के मार्गदर्शन के कारण राजनीति में आया था, जिन्होंने कहा था कि पाकिस्तान की पंजाब विधानसभा में सिख अल्पसंख्यक समुदाय से एक व्यक्ति का होना महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि आखिरी बार दिसंबर 2014 में पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल के निमंत्रण पर NRI सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आया था. हमारे सुखबीर बादल और पंजाब के पूर्व स्पीकर चरणजीत सिंह अटवाल के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. उन्होंने मुझे भारत में आमंत्रित किया और मुझे और मेरे परिवार को बहुत सम्मान दिया.