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नवाज़ शरीफ़ के वक़्त भी पाक ने घोंपा पीठ में छुरा! मरियम सुनिए जुल्मों की दास्तान

नवाज शरीफ जब-जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने, उनसे बेहतर रिश्तों की उम्मीद में भारत रहा. अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी तक ने संबंध सुधारने की कोशिश की लेकिन जो सिला मिला, उसे देश कभी भूल नहीं पाएगा.

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Edited By: India Daily Live
Maryam Nawaz and Nawaz Sharif
Courtesy: Creative Image- India Daily

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की मुख्यमंत्री मरियम नवाज को बार-बार अपने पिता नवाज शरीफ आ रहे हैं. भारत के सिख श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ मुलाकात के बाद उन्होंने अपने पिता नवाज शरीफ की बात को 3 बार दोहराते हुए कहा, 'अपने पड़ोसियों से मत लड़िए. दोस्ती के दरवाजे खोलिए. अपने दिल के दरवाजे खोलिए.' 3000 हिंदुस्तानी सिख श्रद्धालुओं के साथ मरियम नवाज ने करतारपुर साहिब में मुलाकात की. उन्होंने भारत के साथ बेहतर संबंधों को मजबूत करने पर जोर भी दिया.

मरियम नवाज ने करीब 10 मिनट तक पंजाबी और उर्दू में सिख श्रद्धालुओं के साथ बात की. उन्होंने दोनों देशों के साथ बेहतर रिश्तों की वकालत की. उन्होंने यह भी कहा कि उनके परिवार की जड़ें अमृतसर से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने यह भी वादा किया कि करतारपुर कॉरिडोर को और बेहतर किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं की परेशानियां कम हो. उन्होंने दुनियाभर के सिखों से पाकिस्तान में निवेश करने की अपील भी की. ऐसा करने वाली वे पहली नेता नहीं हैं. उनके पिता भी दुनिया को यही दिखाते थे कि वे भारत से बेहतर संबंध चाहते हैं.

मरियम नवाज को शायद यह नहीं पता है कि उनके पिता 3 बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे और जब-जब प्रधानमंत्री रहे, भारत के साथ तनावपूर्ण ही संबंध रहे. ऐसा भी नहीं था कि भारत तब उनके खिलाफ आक्रामक था. भारत सिर्फ क्रिया का प्रतिक्रिया देता है, कभी खुद से जंग की पहल ही नहीं करता है. पाकिस्तान ही बार-बार जंग छेड़ता है, घुसपैठ करता है और भारत के खिलाफ साजिश रचा है.

आइए जानते हैं नवाज शरीफ के कार्यकाल में कब-कब भारत के साथ पाकिस्तान ने गद्दारी की है.

1999: अच्छे संबंधों की वकालत लेकिन पीठ में मारा छुरा 
साल 1999 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच लाहौर में मुलाकात हुई. दोनों के बीच एक समझौता पर हस्ताक्षर हुए. साल 1972 के शिमला समझौते बाद यह सबसे बड़ा समझौता हुआ. दोनों देशों ने भरोसे की प्रतिबद्धता दोहराई थी. मई का महीना था. कारगिल में पाकिस्तान ने हमला बोल दिया. 

पाकिस्तानी लड़ाके करगिल फतह करने आए थे. भारत बेहतर रिश्ते चाहता था, मिला धोखा. हिंदुस्तान ने 500 से ज्यादा जवानों को खो दिया था. कई जवान हमेशा के लिए अपंग हो गए थे. पहली बार की दोस्ती का ये सिला, नवाज शरीफ से मिलने के बाद मिला था. भारत ने दो महीने के संघर्ष के बाद 26 जुलाई 2024 को करगिल वापस हासिल कर लिया था. इसका ठीकरा उन्होंने जनरल परवेज मुशर्रफ पर फोड़ा पर इतने भी निर्दोष नवाज शरीफ नहीं थे.

2013–17 तक, नवाज ने भी भारत को दिए हैं गहरे जख्म

- साल 2014 में ऐसा लगा कि भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सुधर गए हैं. नवाज शरीफ, अपने पूर्ववर्तियों की तरह गद्दारी नहीं करेंगे. लेकिन ऐसा सच नहीं था. साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने का न्योता भेजा था. उम्मीदें ध्वस्त हो गईं, जब 2014 में ही पाकिस्तानी हाई कमिश्नर ने कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से मुलाकात किया था.

- साल 2015 में बैंकॉक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की एक अहम बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाया. प्रधानमंत्री इसी दौरान नवाज शरीफ से मिलने अचानक लाहौर पहुंच गए थे. यह बीते एक दशक की पहली यात्रा थी. इस मुलाकात के बाद ही पठानकोट में एक आतंकी हमला हुआ.

2 जनवरी को पठानकोट एयरबेस पर कुछ आतंकी आए और हमला बोल दिया. इसमें 7 से ज्यादा जवान मारे गए. उसके कुछ दिनों बाद 27 जुलाई 2015 को गुरदासपुर में एक हमला हुआ. गुरदासपुर के पुलिस अधीक्षक इसमें शहीद हो गए थे. 

- दिसंबर 2016 तक भारत और पाकिस्तान के रिश्ते पटरी से उतर चुके थे. कुछ हमलावरों ने उरी में हमला किया था और भारत के 18 सैनिक शहीद हो गए थे. ISI, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर पर हमले के आरोप लगे. भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक किया और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी शिविरों को तबाह किया. 

साल 2016 से लेकर 2018 तक खूब संघर्ष हुआ. दोनों तरफ से गोलियां गरजतीं, जवान शहीद होते, आम लोग मारे जाते. 2017 में 3000 से ज्यादा बार हमले किए गए. आतंकवादियों ने अक्टूबर 2017 में श्रीनगर के पास अर्धसैनिक बलों पर हमला बोला. फरवरी 2018 में एक भारतीय सेना पर हमले बोले गए. 5 सैनिक मारे गए, आम लोग मारे गए. नींव नवाज शरीफ की थी, उनके बाद के शासकों ने उसे ही कायम रखा.