पाकिस्तान की राजधानी में अभी-अभी ऐसा जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुआ है, जिसमें कई लोग मारे गए हैं. इस बीच पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने शहबाज सरकार और पाकिस्तानी सेना पर निशाना साधा है. इस दौरान इमरान खान ने अपने एक्स अकाउंट से किए गए लंबे पोस्ट में आने वाले दिनों में पार्टी के आंदोलन की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी है.
दरअसल, गुरुवार (5 दिसंबर) की रात को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर किए गए पोस्ट में इमरान खान ने लिखा कि , "देश में तानाशाही स्थापित हो गई है. सरकारी आतंकवाद की वजह से निर्दोष और शांत राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर गोली चलाई गई और उन्हें शहीद किया गया. इस दौरान हमारे हजारों कार्यकर्ता लापता हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को अब इस पर संज्ञान लेना चाहिए और अपनी संवैधानिक भूमिका निभानी चाहिए.
سابق وزیراعظم عمران خان کا پیغام:
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) December 5, 2024
“ملک میں ڈکٹیٹر شپ قائم ہو چُکی ہے۔ ریاستی دہشت گردی کے نتیجے میں نہتے سیاسی کارکنان پہ گولیاں برسائی گئیں اور پُر امن سیاسی کارکنان کو شہید کیا گیا ہے۔ ہمارے سینکڑوں کارکنان لا پتہ ہیں۔ سپریم کورٹ کو اب اس کا نوٹس لے کر اپنا آئینی کردار ادا…
गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए SC का खटखटाया दरवाजा
इमरान खान ने आगे कहा कि,"हमने गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए सुप्रीम कोर्ट, लाहौर हाई कोर्ट और इस्लामाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन अदालतों ने कोई कार्रवाई नहीं की और अब देश इस स्थिति तक पहुंच गया है. उन्होंने अपनी पोस्ट में आगे लिखा कि, "हम 13 दिसंबर को शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए पेशावर में एक भव्य सभा का आयोजन करने जा रहे हैं. इस सभा में शामिल होने के लिए विपक्षी राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया जाएगा.
विचारधीन राजनीतिक कैदियों को इमरान खान ने की रिहाई कि मांग
पीटीआई चीफ और पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की ओर से जारी इस संदेश के जरिए विचारधीन राजनीतिक कैदियों को रिहाई और 9 मई और 26 नवंबर की घटनाओं की पारदर्शी जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग उठाई गई है. इसमें कहा गया है कि मांगें पूरी नहीं होने पर 14 दिसंबर से सविनय अवज्ञा आंदोलन और बहिष्कार अभियान करने की घोषणा की है.
इसके अलावा बीते 26 नवंबर को इमरान खान की रिहाई के लिए तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) के कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने बुशरा बीबी के नेतृत्व में इस्लामाबाद में विरोध प्रदर्शन किया था. इस प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर हुई गिरफ़्तारी और पुलिस कार्रवाई के बाद पीटीआई ने अपना विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया था.