USA Pakistan Relation: ईरान के साथ पाइपलाइन समझौते ने पाकिस्तान सरकार के लिए मुश्किलों का नया पिटारा खोल दिया है. जिसे देख तंगहाल पाकिस्तान की हालत पूरी तरह से खस्ता हो गई है. दरअसल अमेरिकी उप विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने इस्लामाबाद को तेहरान के साथ पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर धमकी दी है जिसने शहबाज सरकार की नींद उड़ा दी है. पाक सरकार अगर पाइपलाइन बनाती है तो उसे अमेरिका से झटका लगना तय है. वहीं, दूसरी ओर यदि वह इस समझौते पर आगे नहीं बढ़ती है तो उसे अरबों डॉलर का जुर्माना भरना होगा. महासंकट में फंसे पाक ने ईरान से सस्ती गैस आयात करने के लिए अरबों डॉलर के पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर अमेरिका से प्रतिबंधों में छूट मांगने का फैसला किया है.
पाकिस्ती अखबार डॉन की खबर के अनुसार, पाक के पेट्रोलियम मंत्री मुसादिक मलिक ने कहा कि सरकार ने ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के अंतर्गत अमेरिका से प्रतिबंधों में छूट देने की मांग करेगी. उन्होंने प्रेस को बताया कि सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर अमेरिका से छूट मांगने का फैसला किया है. पाकिस्तान गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट के प्रतिबंधों को वहन करने में सक्षम नहीं है. अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों में सहायक उप विदेश मंत्री ने डोनाल्ड लू ने संसद सत्र में कहा था कि इस्लामाबाद ने छूट को लेकर अमेरिका के सामने कोई प्रस्ताव नहीं रखा है. पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि सरकार राहत पाने के लिए तममा मंचों से इस बात को जोर-शोर से उठाएगी.
मलिक ने कहा कि ईरान के साथ समझौते पर जल्द ही काम शुरू हो जाएगा. पाकिस्तान और ईरान ने साउथ पार्स गैस इलाके में 25 सालों के प्रति दिन 75 करोड़ क्यूब फुट गैस की सप्लाई के लिए साल 2009 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इस पाइपलाइन प्रोजेक्ट को दोनों देशों को अपने-अपने इलाकों में लागू करना है. गौरतलब है कि इस परियोजना में पहले भारत भी शामिल था इसलिए इसे भारत-पाकिस्तान -ईरान गैस पाइपलाइन का नाम दिया गया था. हालांकि भारत ने इस परियोजना से दूरी बना ली और यह द्विपक्षीय परियोजना ही बनकर रह गई.
समझौते के तहत इस प्रोजेक्ट के जरिए साल 2015 से गैस आपूर्ति शुरु होनी थी. ईरान ने परियोजना का लगभग 900 किमी का हिस्सा निर्मित कर लिया है. वहीं, 250 किमी हिस्से का निर्माण किया जाना बाकी है. पाक सरकार ने पिछले साल अमेरिकी दवाब के कारण इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. अमेरिका ने ईरान पर परमाणु कार्यक्रमों को लेकर तमाम तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं.