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India Daily

वो 4 महिलाएं जो फतवे के बावजूद पाकिस्तान चुनाव में बुराइयों से लड़ने उतरी

पाकिस्तान के इस खतरनाक इलाके में 97 प्रतिशत महिलाएं कभी भी स्कूल या मदरसा भी नहीं गई हैं. महिलाओं के लिए यहां बेहद सख्त नियम हैं. लड़कियों की छोटी-छोटी गलतियों पर हत्या कर दी जाती है.

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Edited By: Naresh Chaudhary
Pakistan Elections 2024

Pakistan Elections 2024: भारत के पड़ोसी और दुश्मन देश पाकिस्तान में आम चुनाव 2024 होने जा रहे हैं. आतंकवाद को पनाह देने के लिए दुनियाभर में बदनाम पाकिस्तान के सामने खुद भी कई चुनौतियां आ रही हैं. अब पाकिस्तान में आम चुनाव होने जा रहे हैं. कई इलाकों से हिंसा और बम धमाकों की खबरें भी सामने आ रही हैं. इसी बीच एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. हद से ज्यादा पितृसत्तात्मक समाज के लिए पहचाने जाने वाले कोहिस्तान में महिला उम्मीदवार सामाजिक बाधाओं को तोड़ रही हैं और 8 फरवरी को होने वाले चुनाव में खड़ी हो रही हैं. 

द डॉन के अनुसार तहमीना फहीम, शकीला रब्बानी, सन्न्या सबील और मोमिना बासित खैबर पख्तूनख्वा के हजारा जिले के निर्वाचन क्षेत्रों से चुनावी मैदान में उतर रही हैं. इन चारों में से तीन पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की समर्थक बताई जा रही हैं, जबकि सबील पीटीआई से जुड़ी हुई हैं और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रही हैं. पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया है. 

इन बातों के लिए बदनाम हैं ये इलाके

कोहिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के लिए रहना किसी बुरे सपने से कम नहीं है. यहां लिंग आधारित हिंसा और बाल विवाह सबसे बड़ा खतरा है. यहां की महिलाओं में साक्षरता की बात करें तो बेहद चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आता है. दावा है कि 97 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं कभी भी स्कूल या मदरसा तक नहीं गई हैं. 

ये महिलाएं अपना पहला चुनाव लड़ रही हैं, क्योंकि एक युवा लड़की की भयानक हत्या की काली छाप उनके दिलों में है. कुछ समय पहले कोलाई-पलास जिले के बारशारील इलाके में एक जिरगा ने लड़की और उसके दोस्त की हत्या का आदेश दिया था, क्योंकि सोशल मीडिया वीडियो और तस्वीरों में उसे अपने गांव के दो लड़कों के साथ देखा गया था. साल 2012 में भी एक ऐसी ही घटना हुई थी, जिसमें पांच लड़कियों के डांस का एक वीडियो वायरल हुआ था. इसके बाद उन पांचों की हत्या कर दी गई थी. 

क्या कहा गया था इस फतवे में

द डॉन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले हफ्ते कोहिस्तान के मौलवियों के एक समूह (जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल के सदस्य) ने महिला चुनाव उम्मीदवारों द्वारा और उनके लिए प्रचार करने के खिलाफ एक फतवा (इस्लामी फरमान) जारी किया था. इसे गैर-इस्लामी घोषित किया था. फतवा में कहा गया था कि वोट पाने के लिए घर-घर जाने वाली एक महिला के कृत्य की निंदा करता है. कहा गया था कि कोहिस्तान क्षेत्र के 30 'धार्मिक विद्वानों' और करीब 400 मौलवियों ने इसका समर्थन किया है.