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India Daily

'अमृतसर में नाश्ता, लाहौर में लंच और काबुल में डिनर', पाकिस्तानी नेता को याद आए मनमोहन सिंह, बताई अजब रिश्ते की गजब कहानी

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह का व्यक्तित्व और उनके नेतृत्व में हुई शांति की प्रक्रिया भविष्य में दोनों देशों के रिश्तों को एक मिसाल के रूप में देखा जाएगा.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Pakistan former foreign minister Khurshid Mahmud Kasuri recalled Former PM Manmohan Singh
Courtesy: Social Media

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के निधन पर अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त की और उनके परिवार के प्रति अपनी सहानुभूति जाहिर की. पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने अपने एक बयान में मनमोहन सिंह की महानता और दोनों देशों के बीच शांति प्रयासों की महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया.

कसूरी ने यह भी बताया कि मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद, दोनों देशों के बीच लोगों से लोगों का संपर्क बढ़ा, जिससे आपसी विश्वास और समझ को बढ़ावा मिला. इस दौरान कई अहम शांति समझौतों पर काम हुआ, और सिंह की सरकार के तहत दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण बातचीत हुई. यह प्रक्रिया उस समय पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में शुरू हुई थी, लेकिन मनमोहन सिंह ने इसे अपनी पूरी मेहनत और दिल से आगे बढ़ाया.

"अमृतसर में नाश्ता, लाहौर में लंच और काबुल में डिनर"

खुर्शीद महमूद कसूरी ने कहा कि मनमोहन सिंह को हमेशा याद किया जाएगा, क्योंकि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों को सुधारने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. उन्होंने इस प्रक्रिया को एक नई दिशा देने का काम किया था. कसूरी के अनुसार, सिंह का सबसे मशहूर बयान यह था कि वह उस दिन का इंतजार करते थे जब लोग "अमृतसर में नाश्ता, लाहौर में लंच और काबुल में डिनर" कर सकें. यह बयान न केवल उनके सोचने के तरीके को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे क्षेत्रीय शांति के लिए कितना प्रतिबद्ध थे.

कश्मीर समस्या पर हुई बातचीत

एक और महत्वपूर्ण पहलू, जिस पर कसूरी ने ध्यान आकर्षित किया, वह था कश्मीर समस्या का समाधान. खुर्शीद महमूद कसूरी के अनुसार, मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए, कश्मीर मुद्दे पर गंभीर और रचनात्मक बातचीत हुई थी. दोनों देशों के नेताओं ने इस मुद्दे पर एक संभावित समाधान की दिशा में विचार किया, जिससे दोनों पक्षों के बीच समझदारी और सहमति का माहौल बना.

"पाकिस्तान जाने की इच्छा"

खुर्शीद महमूद कसूरी ने यह भी बताया कि मनमोहन सिंह ने एक बार अपनी जन्मभूमि गाह (पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित) जाने की इच्छा जताई थी. सिंह ने कसूरी से कहा था कि वह पाकिस्तान आकर अपने पैतृक गांव का दौरा करना चाहते हैं. इस पर कसूरी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि उन्हें पाकिस्तान में गर्मजोशी से स्वागत किया जाएगा. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि एक दिन मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर और उनके परिवार के अन्य सदस्य भी गाह का दौरा करेंगे.