आतंकियों को पालने वाला पाकिस्तान इस समय इतिहास के अपने सबसे खराब आर्थिक हालातों से गुजर रहा है. इसी बीच मोहम्मद औरंगजेब ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री का पद संभाल लिया है और उन्होंने पाकिस्तान को इस संकट की स्थिति से उबारने की कसम खाई है.
कोई सैलरी नहीं लेंगे औरंगजेब
सरकार में शामिल होने से पहले औरंगजेब पाकिस्तान में सबसे अधिक वेतन पाने वाले कॉर्पोरेट नेताओं में से एक थे, लेकिन अब उन्होंने वित्त मंत्री के रूप में सैलरी न लेने का फैसला किया है. औरंगजेब के पास अब तक डच नागरिकता थी. पाकिस्तातन का वित्त मंत्री बनने के लिए उन्होंने डच नागरिकता भी त्याग दी.
क्या पाक को आर्थिक संकट से उबार लेंगे औरंगजेब
दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे पाकिस्तान की सरकार को चलाना नए नवेले पीएम शहबाज शरीफ के लिए मुश्किल हो रहा है, इसी बीच उन्होंने मोहम्मद औरंगजेब पर भरोसा जताया और उन्हें वित्त मंत्री बना दिया. शरीफ को भरोसा है कि औरंगजेब पाकिस्तान को इन हालातों से उबार लेंगे.
बता दें कि पाकिस्तान में महंगाई आसमान पर पहुंच गई है, विकास कार्यों की गति थम गई है जिसको लेकर लोगों में भारी आक्रोश है. खुद को दिवालिया होने से बचाने के लिए पाकिस्तान मुस्लिम देशों और IMF से आर्थिक मदद की गुहार लगा रहा है. पाकिस्तान को इन हालातों उबारने का दारोमदार अब औरंगजेब पर है.
कौन हैं मोहम्मद औरंगजेब
मोहम्मद औरंगजेब लाहौर के एक संपन्न परिवार से आते हैं. उनके पिता पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं
औरंगजेब ने देश के प्रतिष्ठत कॉलेज एचिसन से पढ़ाई की है और अपने करियर के शुरुआती दिनों में न्यूयॉर्क के सिटीग्रुप आईएनसी के साथ काम किया.
कुछ सालों बाद वे एबीएन एमरो बैंक एनबी में काम करने के लिए दोबारा पाकिस्तान लौट गए. इसके बाद वह एम्सटर्डम में स्थित बैंक के मुख्यालय में चले गए. साल 2018 में उन्होंने सिंगापुर के जेपी मॉर्गन को छोड़कर फिर से अपने देश लौटने का फैसला किया और यहां देश के सबसे बड़े बैंक हबीब बैंक लिमिटेड में बतौर मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में पदभार संभाला.
औरंगजेब पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ को अपना रोल-मॉडल मानते हैं. फिलहाल वह IMF से 6 अरब डॉलर के तीन साल के कार्यक्रम के लिए जून तक समझौता कराने की कोशिश में लगे हुए हैं. पाकिस्तान में औरंगजेब को औरी निकनेम से भी जाना जाता है. पाकिस्तानी सरकार के साथ वह पहली बार काम नहीं कर रहे हैं. इससे पहले वह 2022 में शहबाज शरीफ की सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं.