Pakistani Army vs Imran Khan conflict: पाकिस्तान में आम चुनाव के नतीजे पूरी तरह से घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन जिस तरह से शुरुआती नतीजे सामने आए हैं, वो बिलकुल चौंकाने वाले हैं. जिस इमरान खान को पाकिस्तानी सेना ने पहले सत्ता पर बैठाया, उसे तीन साल बाद सलाखों के पीछे भेज दिया. फिलहाल, इमरान 150 से अधिक मुकदमों का सामना कर रहे हैं. तीन मामलों में तो वे दोषी भी साबित हुए हैं और उन्हें तीनों अलग-अलग मामलों में जेल की सजा सुनाई गई है.
फिलहाल, पाकिस्तान में आम चुनाव को जो प्रारंभिक नतीजे आए हैं, उसके मुताबिक इमरान खान समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं. यानी पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के उम्मीदवारों ने सबसे अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है. इनकी संख्या 100 से पार हो गई है. ये पहली बार है, जब पाकिस्तानी सेना इमरान खान के आगे कमजोर दिख रही है.
पाकिस्तानी सेना के इमरान के सामने कमजोर होने की बात इसलिए कही जा रही है, क्योंकि इमरान को सत्ता से हटाने और वे चुनाव न लड़ पाएं, इसके लिए सेना ने तमाम प्रयास किए. उन्हें जेल भेजा गया, उनकी पार्टी की मान्यता रद्द कर दी गई, चुनाव चिन्ह छीन लिया गया. बावजूद इसके जब चुनाव के नतीजे आने लगे तो इमरान खान का कद पहले की ही तरह जननेता वाला निकला. भले ही इमरान को सजा हुई हो, लेकिन पाकिस्तान की आवाम उन्हें अभी भी अपना नेता मान रही है, चुनावी नतीजे तो यही कह रहे हैं.
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इमरान खान के समर्थित उम्मीदवारों ने जिस तरह आम चुनाव में जीत दर्ज की है, उससे तो यही लग रहा है कि उनकी छवि पर कोई असर नहीं पड़ा है. अब पाकिस्तानी आर्मी उन्हें सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए तमाम हथकंडे अपना सकती है.
कहा जाता है कि पाकिस्तान की सत्ता की चाभी वहां के आर्मी की हाथों में ही होती है. जब से पाकिस्तान अलग देश बना है, तभी से पाकिस्तान की राजनीति में सेना का हस्तक्षेप रहा है. इमरान को सत्ता में लाने वाली पाकिस्तानी आर्मी ही थी, लेकिन जब इमरान को जनता का प्यार मिला तो वे हर मुद्दे पर पाकिस्तानी आर्मी से सलाह लेना बंद कर दिया और खुद फैसले लेने लगे. इसके बाद इमरान खान पाकिस्तान आर्मी की आंखों में खटकने लगे. फिर जो कुछ हुआ, उसके बारे में सभी जानते हैं.
2018 के चुनाव में पाकिस्तानी आर्मी ने ही इमरान को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के कुर्सी तक पहुंचने में मदद की थी. चुनाव के बाद इमरान की ताजपोशी हुई. तीन साल तक इमरान की सरकार और सेना में सबकुछ ठीक रहा लेकिन 2021 के आखिर में तालमेल बिगड़ने लगा. इमरान सरकार के बनने के एक साल बाद यानी 2019 में पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा का कार्यकाल तीन साल बढ़ा दिया गया.
दो साल बाद यानी 2021 में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के चीफ फैज हमीद हुआ करते थे, जो इमरान खान के करीबियों में से थे. 2021 में ही इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशन यानी ISPR ने फैज हमीद का ट्रांसफर कर पेशावर का कोर कमांडर बना दिया. इस फैसले से पहले इमरान खान ने पाकिस्तानी सेना से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया था. इसके साथ ये भी बात सामने आने लगी कि अब इमरान सरकार पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल बाजवा का कार्यकाल नहीं बढ़ाएगी. इन दो घटनाओं के बाद इमरान खान और सेना के बीच तालमेल बिगड़ गया.
स्थिति तब और बिगड़ गई, जब इमरान खान ने न सिर्फ विपक्ष और पाक आर्मी की मिलीभगत का आरोप लगाया, बल्कि भारतीय सेना की जमकर तारीफ कर दी. इसके बाद तो पाकिस्तानी आर्मी और इमरान के बीच दूरी और बढ़ गई. दरअसल, इमरान ने ये कह दिया था कि इंडियन आर्मी कभी भी भारतीय राजनीति में दखल नहीं देती, लेकिन पाकिस्तानी सेना अक्सर ऐसा सरकर सरकारें पलट देती है.