Pakistan Election 2024: हाफिज मोहम्मद सईद एक ऐसा आतंकवादी है जिसने भारत को खून के आंसू रुलाए थे. लश्कर-ए-तैयबा (LeT) नामक आतंकवादी संगठन के इस संस्थापक को भारत के लोग 2008 में मुंबई में आतंकी हमले के जिम्मेदार के तौर पर याद करते हैं. हाफिज भारत के लिए वांछित आतंकी है. लश्कर-ए-तैयबा द्वारा मुंबई में किए उन हमलों में 166 लोग मारे गए थे.
यहां तक कि अमेरिका ने भी LeT को आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है और हाफिज मोहम्मद सईद पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा है. ऐसे में दुनिया की पकड़ से छुपा हुआ ये आतंकी पाकिस्तान में पनाह लिए हुए है. इतना ही नहीं, वहां उसकी राजनीतिक महत्वकांक्षा भी चरम पर है. ये बात अलग है कि पाकिस्तान की आवाम ने ही उसको नानी याद दिला दी है.
पाकिस्तान ने हालांकि हाफिज को हर तरह से भारत की पकड़ में ना आने देने से बचाने की पुरजोर कोशिशें की हैं लेकिन बढ़ते वैश्विक दबाव के चलते पाकिस्तान को भी मोहम्मद सईद पर एक्शन लेना पड़ा था. उसको 2019 में आतंकी फंडिंग के मामलों में दोषी ठहराया गया था और उसे जेल की सजा सुनाई गई थी. वह अभी भी जेल में है.
जेल में हाफिज के साथ प्रतिबंधित संगठन जमात उद दावा के कुछ लीडर भी हैं. जमात लश्कर का ही फ्रंटल संगठन है. ये सब मुंबई हमलों के जिम्मेदार हैं.
भारतीय आवाम की नजरों में घृणा और गुस्से के पात्र हाफिज ने ना केवल पाकिस्तान में सुरक्षित शरण पाई बल्कि वहां अपनी राजनीतिक पार्टी भी बनाई जिसका नाम पाकिस्तान मरकजी मुस्लिम लीग (PMML) है.
हाफिज की तरह PMML की विचारधारा भी इस्लामिक कट्टरपंथी है. PMML का चुनाव चिह्न 'कुर्सी' है. PMML की तरफ से चुनावी सभाओं में कहा जा रहा था कि वो देश को एक इस्लामी कल्याणकारी राज्य बनाना चाहते हैं. इसका मतलब है कि वे पाकिस्तान को एक ऐसे देश में बदलना चाहते हैं जहां शासन इस्लामी कानून के आधार पर होगा.
लेकिन PMML के माध्यम से, पाकिस्तान में अपनी शक्ति और प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हाफिज ताजा चुनाव रिजल्ट से मुंह की खानी पड़ी. पीएमएमएल ने देश भर में सभी राष्ट्रीय और प्रांतीय विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन उनमें से कोई भी जीत नहीं सका. हाफिज ने अपने बेटे तल्हा सईद को NA-122 (लाहौर) सीट से चुनाव लड़वाया था जिसको वो हार गया है.
पीएमएमएल के कई उम्मीदवार हाफिज सईद के रिश्तेदार या लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा या मिल्ली मुस्लिम लीग जैसे प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े थे.
पीएमएमएल ने चुनावों में जनता को इस्लामिक स्टेट का सपना दिखाकर बरगलाने की कोशिश की, लेकिन लोगों ने उनकी बातों पर भरोसा नहीं किया. यह हार हाफिज सईद और उसके संगठन के लिए एक बड़ा झटका है. यह दर्शाता है कि पाकिस्तानी जनता आतंकवाद और कट्टरपंथ से दूर रहना चाहती है.
कुल सीटें और बहुमत:
पाकिस्तान में कुल 342 सीटें हैं, लेकिन इस बार चुनाव 265 सीटों पर ही हो रहा है.
बहुमत के लिए 133 सीटें जीतनी होंगी.
2018 के चुनावों में पीटीआई ने 149 सीटें जीती थीं.
नवाज शरीफ की पार्टी PML-N को 82 सीटें मिली थीं.
बिलावल भुट्टो की पीपीपी को 54 सीटें मिली थीं.
बाकी 47 सीटों पर अन्य दलों का कब्जा था.