Pakistan Economic Crisis: पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही है. दुनियाभर की वैश्विक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाने के बाद, अब पाकिस्तान, नए आर्थिक समीकरणों की ओर देख रहा है. पाकिस्तान की मदद न तो इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (IMF) से मदद मिल पा रही है, न ही उसके दोस्त मदद करने के लिए तैयार हैं. ऐसे में पाकिस्तान खुद, अपने दबे हुए खजानों को बाहर लाने की फिराक में है, जिससे वहां की गरीबी मिट जाए.
पाकिस्तान प्राकृतिक रूप से समृद्ध है. बलूचिस्तान की खदानों में पाकिस्तान की गरीबी मिटा देने की ताकत है. पाकिस्तान ने अपने इस खजाने का इस्तेमाल कभी नहीं किया गया है. पाकिस्तान की रेको दिक खान, दुनिया की सबसे बड़ी धातु खदान साबित हो सकती है. इस खदान पर किसी की नजर भी नहीं गई है.
पाकिस्तान सरकार, अब इन खदानों का 15 प्रतिशत हिस्सा बेचने के लिए तैयार है. यह डील, सऊदी अरब के साथ होगी. यही इकलौता ऐसा देश है, जो इनके साथ बुरे वक्त में खड़ा है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक माइनिंग सेक्टर के पास सऊदी अरब विकास करेगा, जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी. सऊदी अरब ने ही इसका प्रस्ताव दिया था, जिसकी पाकिस्तानी सरकार ने मंथन के बाद हामी दे दी. अब इस डील की क्या कीमत लगाई जाएगी, इसके लिए पाकिस्तानी सरकार मंथन में जुटी है. रेकको दिक माइनिंग प्रोजेक्ट का 50 फीसदी हिस्सा बैरिक गोल्ड के पास है, वहीं 5 प्रतिशद हिस्सा पाकिस्तान सरकार और बलोचिस्तान के बीच बंटा है.
पाकिस्तान का छिपा हुआ खजाना, पाकिस्तान को आर्थिक संकट से बाहर निकाल सकता है. बलूचिस्तान, अपने प्राकृतिक खजानों की वजह से जाना जाता है. यहां गोल्ड और तांबे का रिजर्व है. मुश्किल वक्त में इसके पास पाकिस्तान को बाहर निकालने की क्षमता है. रेको दिक खदान की पहली खुदाई साल 1995 में हुई थी, जिसके बाद 200 किलो सोना और 1700 टन तांबा यहां से निकलता था. विशेषज्ञों का दावा है कि यहां से 2,00,000 टन कॉपर और 250000 तोला सोना मिल सकता है. रेकू दिक खान में को लेकर पाकिस्तान सरकार और बैरिक गोल्ड में अनबन है, जिसके बाद इस प्रोजेक्ट को रोका गया है. यही अब इकलौता रास्ता बचा है, जो पाकिस्तान को अरबों के विदेशी कर्जे को कम करने में मदद कर सकता है.