Pakistan Economic Crisis: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त सख्त कदम उठाए हैं. भारत ने सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया, अटारी बॉर्डर को बंद कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा छूट भी रोक दी. इसके साथ ही हाई कमीशन स्टाफ भी घटा दिए गए. इन फैसलों का पाकिस्तान पर जबरदस्त असर पड़ा है.
पाकिस्तान का शेयर बाजार औंधे मुंह गिरा
बता दें कि भारत की इन नीतियों के बाद पाकिस्तान का स्टॉक एक्सचेंज धड़ाम से गिर गया. सिर्फ शेयर बाजार ही नहीं, महंगाई भी आसमान छूने लगी है. ट्रेड बंद होने की वजह से जरूरी चीजों की कीमतें बेकाबू हो गई हैं. आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की हालत पहले ही पतली थी, अब और भी बिगड़ गई है.
पहले से ही ICU में थी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था
वैसे पाकिस्तान की आर्थिक सेहत भारत के कदमों से पहले भी ICU में ही थी. IMF ने पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ घटाकर 2.6 फीसदी कर दी थी, जबकि एशियन डेवलपमेंट बैंक ने इसे 2.5 फीसदी आंका था. महंगाई 38.5 फीसदी के पार चली गई थी और ब्याज दरें 22 फीसदी तक पहुंच चुकी थीं. चाय जैसी रोजमर्रा की चीजों के लिए भी कर्ज़ लेने की नौबत आ गई थी. रिज़र्व भी इतने कम बचे थे कि बस कुछ हफ्तों का ही इंपोर्ट हो पाता.
सिंधु जल संधि सस्पेंड होने से खेती पर बड़ा खतरा
वहीं, भारत द्वारा सिंधु जल संधि पर ब्रेक लगाने से पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर सीधा हमला हुआ है. पाकिस्तान की लगभग 90% खेती सिंधु नदी के पानी पर निर्भर है. अगर पानी का बहाव घटा या भारत डेटा शेयर करना बंद कर दे, तो गेहूं, चावल और कपास जैसी फसलें बर्बाद हो जाएंगी. खेती पाकिस्तान की जीडीपी का 22.7% हिस्सा है और इसमें 37.4% आबादी काम करती है. ऐसे में पाकिस्तान के लिए खाद्य संकट खड़ा होना तय है.