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हमास की कैद से आजाद हुईं चार लड़कियां, मां-बाप ने बताया बेटियों पर क्या-क्या अत्याचार हुआ

हमास के द्वारा बंधक बनाई गईं इन चार युवतियों के माता-पिता ने मीडिया को बताया कि उनके बच्चों को भूखा रखा गया और उनसे काम लेने के लिए दबाव डाला गया. इन महिलाओं को जबरदस्ती खाना पकाने और बर्तन धोने के लिए मजबूर किया गया.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Ordeal of hostage women released from Hamas captivity

हाल ही में ग़ज़ा से हमास की कैद से चार युवा महिलाएं मुक्त हुईं, लेकिन उनके परिवारों का कहना है कि इन 15 महीनों के दौरान उनके साथ अत्याचार और मानसिक उत्पीड़न हुआ. इन महिलाएं, जिनका अपहरण 7 अक्टूबर 2023 को हुआ था, अब अपने परिवारों के पास वापस लौट चुकी हैं, लेकिन इस कठिन समय के दौरान उनके साथ जो हुआ, वह बेहद दर्दनाक था. इनकी कहानियों से पता चलता है कि कैसे इन युवतियों को भूखा रखा गया, धमकाया गया, और मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का शिकार बनाया गया.

कैद के दौरान महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार

हमास के द्वारा बंधक बनाई गईं इन चार युवतियों के माता-पिता ने मीडिया को बताया कि उनके बच्चों को भूखा रखा गया और उनसे काम लेने के लिए दबाव डाला गया. इन महिलाओं को जबरदस्ती खाना पकाने और बर्तन धोने के लिए मजबूर किया गया. उन्हें भूमिगत सुरंगों और इमारतों में रखा गया, जहां उनके साथ मारपीट की गई. एक बंधक ने बताया कि उन्हें हमास के प्रचार वीडियो में काम करने के लिए भी मजबूर किया गया.

इनके परिवारों का कहना है कि इन युवतियों ने अपनी आपबीती को साझा करने के लिए एक डायरी रखी थी, जिसमें वे चित्र बनाती थीं और अपने अनुभव लिखती थीं. हालांकि, अब भी वे अपनी पूरी कहानी नहीं बता सकतीं, क्योंकि उनका डर है कि इससे ग़ज़ा में हमास के कब्जे में रहे अन्य बंधकों को खतरा हो सकता है.

अपहरण के बाद की स्थिति
चार युवतियों में से तीन महिलाएं सैनिक थीं और उनका अपहरण 7 अक्टूबर 2023 को नाहल ओज़ आर्मी बेस से किया गया था. यह वही दिन था जब हमास ने इज़राइल पर हमला किया था. परिवारों का कहना है कि इन महिलाओं के साथ सलूक अलग-अलग था और कुछ स्थानों पर उन्हें अच्छी स्थिति में रखा गया, जबकि अन्य स्थानों पर उन्हें खराब स्थिति में रखा गया. कभी खाना बहुत अच्छा था, तो कभी बिल्कुल नाकाफी.

अगम बर्जर के पिता ने बताया कि उनकी बेटी को बंधक बनाए रखने वाले लोग उन्हें अलग-अलग स्थानों पर ले जाते थे, जिनमें खराब से बढ़िया सुरंगें और घर शामिल थे. अगम ने यह भी कहा कि उन्हें अक्सर हथियारबंद गार्ड्स के बीच रहना पड़ता था, जो उनकी हर गतिविधि पर नजर रखते थे.

शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न
एक अन्य महिला, डेनियला गिल्बोआ की मां ने बताया कि उनकी बेटी को जबरदस्ती एक जगह से दूसरी जगह ले जाया गया. कैद के दौरान, डेनियला ने बहुत कमजोर होने के बाद अपनी मां से कहा, "अगर मुझे दो महीने पहले छोड़ा गया होता, तो मैं भी इतनी कमजोर और दुबली होती." उनके माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी का वजन बहुत घट गया था और कैद के दौरान वह मानसिक और शारीरिक रूप से थकी हुई थी.

दूसरी महिलाओं के माता-पिता ने भी बताया कि उनकी बेटियों का वजन घट गया था और उन्होंने अपने बच्चों की कमजोर स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की. इन महिलाओं को छोड़ने के बाद उन्हें ढेर सारा खाना दिया गया ताकि वे स्वस्थ हो सकें.

खौ़फनाक अनुभवों का सामना
कई महिलाओं ने यह बताया कि वे हमास के तहत बनाए गए वीडियो में काम करने के लिए मजबूर की गईं, जो इज़राइल के खिलाफ थे. इसके अलावा, इन महिलाओं को अक्सर धमकियां दी जाती थीं और उनकी शारीरिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी. बर्जर के अनुसार, अगम ने एक बार कहा था कि उन पर लगातार निगरानी रखी जाती थी और उन्हें हर समय हथियार और ग्रेनेड लेकर रहने के लिए कहा जाता था.

कैद के दौरान, अगम ने यहूदियों के विश्राम के दिन सब्बाथ पर काम करने से इनकार कर दिया था, लेकिन उनके बंधक बनाने वालों ने इसे स्वीकार किया.

परिवारों का पुनर्मिलन
हालांकि इन महिलाओं को अब अपने परिवारों के पास लौटने का मौका मिला है, लेकिन वे अभी भी अपने अनुभवों से उबरने की कोशिश कर रही हैं. बर्जर कहते हैं, "जब अगम वापस आई, तो वह हर समय बोलना चाहती थी, लेकिन एक दिन के बाद उसकी आवाज जैसे बंद हो गई. वह बहुत थक चुकी थी."

इन परिवारों का कहना है कि अपनी बेटियों के साथ पुनर्मिलन का क्षण अत्यंत भावनात्मक था, लेकिन उनका दिल अभी भी ग़ज़ा में बाकी बंधकों के लिए चिंतित है. उनका कहना है कि युद्धविराम जारी रखा जाए ताकि और लोगों को इनकी तरह बंधक बनने से बचाया जा सके.