Israel Iran War: इजराइल के निशाने पर हमास, हिजबुल्लाह और ईरान है. 7 अक्टूबर के नरसंहार के बाद इजराइल बदला लेने में जुटा है. वो किसी भी सूरत में शांत होना नहीं चाहता है, यही वजह है कि उसने हमले तेज कर दिए हैं. इस जंग में इजराइल ने हिजबुल्लाह के कई प्रमुख कमांडरों को खत्म कर दिया है. लगातार हो रहे हमलों से क्षेत्र में तनाव तेजी से बढ़ रहा है. पिछले दिनों इजराइली सेना के हमलों से लेबनान की राजधानी बेरूत के दक्षिणी इलाके में संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिक हताहत हुए थे. लिहाजा अब अमेरिका समेत कुछ देश यह कह रहे हैं कि जंग खत्म होनी चाहिए. इससे इजराइल एक तरह से अकेला पड़ता दिख रहा है.
अभी के हालात पर गौर करें तो स्थिति और भी बिगड़ने की संभावना जताई जा रही है. गाजा पट्टी में भी स्थिति बिगड़ती जा रही है. इजराइल ने जबालिया शरणार्थी शिविर पर नया हमला शुरू किया है, जिसके बाद हजारों की संख्या में लोगों की जानें जा चुकी हैं. अब इजराइल से गाजा में हिंसा रोकने की अपील कर रहे हैं. यहां तक कि उसके करीबी सहयोगी भी संयम बरतने की सलाह दे रहे हैं.
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल के हालिया संघर्ष के पीछे तीन मुख्य कारक पर गौर कर रहा है. पहला 7 अक्टूबर का हमला, दूसरा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का नेतृत्व और तीसरा अमेरिका का समर्थन. इन तीन कारक को समझें तो 7 अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर एक अभूतपूर्व हमला किया. इसमें करीब 1200 लोगों की मौत हुई थी और 251 को हमास लड़ाके अगवा कर गाजा ले गए थे. इस घटना के बाद इजराइल का खून खौला हुआ है.
इजराइल का दुश्मन ईरान के बीच प्रॉक्सी युद्ध कई सालों से जारी है. इस युद्ध में दोनों देश सीधे लड़ने की जगह अपने-अपने समूहों के जरिए लड़ाई लड़ते हैं. हाल ही में बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरानी ठिकानों पर हमला करने का आदेश दिया था. इसके साथ इजराइली सेना ने लेबनान के हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह के अलावा कई कमांडरों की जान ले ली. अमेरिका इस संघर्ष में इजराइल को हथियारों की भारी मदद दे रहा है, लेकिन गाजा में हो रही मानवता की त्रासदी के कारण अमेरिका की आलोचना भी हो रही है.
राष्ट्रपति जो बाइडन की सरकार युद्ध विराम की कोशिश कर रही है, लेकिन कोई ठोस सफलता नहीं मिली है. नेतन्याहू को भरोसा है कि वह अमेरिका के दबाव का सामना कर सकते हैं, खासकर आगामी अमेरिकी चुनावों के चलते. उन्हें पूरा भरोसा है कि बाइडन प्रशासन कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगा जिससे इजराइल पर कोई असर पड़े. इजराइल की रणनीति साफ है कि वह अपने दुश्मनों को खत्म करने और खुद को मजबूत करने में जुटा है. चाहे गाजा हो, लेबनान हो या ईरान, इजराइल अपनी कार्रवाई से पीछे हटने को तैयार नहीं है.