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Nostradamus India Pakistan nuclear war prediction: भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाला है परमाणु युद्ध, 'नास्त्रेदमस' की भविष्यवाणी

Nostradamus nuclear war prediction:इस स्टडी का मुख्य लक्ष्य था परमाणु हथियारों के खिलाफ जागरूकता फैलाना. वैज्ञानिकों ने 2017 के संयुक्त राष्ट्र परमाणु हथियार निषेध संधि के महत्व को रेखांकित किया. उनका कहना था कि ऐसी संधियां युद्ध के खतरों को कम करने में मदद कर सकती हैं.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Nostradamus nuclear war prediction in between India and Pakistan
Courtesy: Social Media

Nostradamus nuclear war prediction: क्या आपने सुना है कि 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हो सकता है? एक पुरानी भविष्यवाणी और 2019 की एक वैज्ञानिक स्टडी इसकी ओर इशारा करती है. यह स्टडी न केवल युद्ध की संभावना की बात करती है, बल्कि परमाणु युद्ध के खतरों को भी उजागर करती है. आइए, इस स्टडी के बारे में विस्तार से जानते हैं.

2019 में अमेरिका की कोलोराडो यूनिवर्सिटी और रटगर्स यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की थी. यह स्टडी साइंस एडवांसेज नामक जर्नल में छपी थी. इसमें भारत और पाकिस्तान के बीच 2025 में संभावित युद्ध की बात कही गई थी. स्टडी का मकसद था कि परमाणु युद्ध के भयानक परिणामों से दुनिया को आगाह किया जाए. वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि अगर ऐसा युद्ध हुआ तो पूरी दुनिया प्रभावित होगी. इस स्टडी को नए 'नास्त्रेदमस' की संज्ञा दी जा रही है. 

परमाणु युद्ध का खतरा

स्टडी के अनुसार, अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध हुआ तो तुरंत 10 करोड़ लोग मारे जा सकते हैं. इसके बाद, युद्ध के दुष्परिणामों से 5 से 12.5 करोड़ लोगों की जान जा सकती है. वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि भारत 100 और पाकिस्तान 150 परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. यह आंकड़े कंप्यूटर सिमुलेशन के आधार पर दिए गए थे.

भारत और पाकिस्तान के परमाणु हथियार

2019 की इस स्टडी में यह भी कहा गया कि 2025 तक भारत और पाकिस्तान के पास 400 से 500 परमाणु हथियार हो सकते हैं. इन हथियारों की विस्फोटक शक्ति 15 किलोटन तक हो सकती है. यह शक्ति 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए बम के बराबर है. दोनों देशों की नजदीकी के कारण यह खतरा और भी गंभीर है.

पर्यावरण पर भयानक असर

परमाणु युद्ध का असर सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं रहेगा. स्टडी के मुताबिक, विस्फोटों से 1.6 से 3.6 करोड़ टन काला धुआं (सूट) वातावरण में फैल सकता है. इससे पेड़-पौधों की वृद्धि 30% तक कम हो सकती है और समुद्री जीवों की उत्पादकता 15% तक घट सकती है. इस धुएं का असर कम से कम 10 साल तक रहेगा, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान होगा.