किसे मिलेगा नोबेल शांति पुरस्कार? सट्टा बाजार में इन नामों पर दांव

Nobel Peace Prize: नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान होना अभी बाकी है. इससे पहले दुनियाभर में इसके लिए नामों की चर्चा होने लगी है. विशेषज्ञों का अनुमान एक तरफ है. दूसरी तरफ इन नामों को लेकर सट्टा बाजार अपना अलग दांव लगा रहा है. आइये जानें विशेषज्ञों और सट्टा बाजार में क्या नाम चल रहे हैं?

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Nobel Peace Prize: नोबेल शांति पुरस्कार का नाम तो आपने सुना होगा. इसके अंतर्गत दुनिया में शांति के लिए काम करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाता है. हालांकि, इस साल ये सम्मान किसे मिलेगा इसे लेकर नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने अभी कोई ऐलान नहीं किया है. लेकिन, इससे पहले कई नामों की चर्चा जानकार करने लगे हैं. खैर जानकारों की राय एक तरफ है और दूसरी तरफ नोबेल शांति पुरस्कार विजेता को लेकर सट्टा बाजार में भी दांव लग रहा है. आइये जानें किन-किन नामों की चर्चा हो रही है?

एक तरफ नामों को लेकर चर्चाओं का दौर तेज है. दूसरी ओर एक तीसरा एंगल भी आ रहा है कि शायद इस बार नोबेल पुरस्कार दिए ही न जाए. अगर ऐसा होता है तो ये कुछ नया नहीं होगा. ऐसा दुनिया में छिड़े युद्धों के कारण हो सकता है. ऐसा 19 बार हो चुका है, आखिरी बार 1972 में हुआ था.

विशेषज्ञों का अनुमान

विशेषज्ञों के अनुसार, इस साल गाजा और यूक्रेन में जारी युद्धों के कारण इस पुरस्कार के लिए केवल तीन प्रमुख दावेदार बचे हैं. अनुमान है कि इस साल संयुक्त राष्ट्र फिलिस्तीनी शरणार्थी एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए), अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस में से किसी को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल सकता है.

सट्टेबाजों की पसंद

सट्टबाजार के अनुसार, इस साल के प्रमुख उम्मीदवार मृत रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नवालनी हैं. नवलनी का इस साल फरवरी में जेल में निधन हो गया था. हालांकि, मरणोपरांत पुरस्कार दिए जाने की संभावना नहीं है. इसलिए नवलनी को यह पुरस्कार मिलना मुश्किल है. दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की भी संभावित उम्मीदवारों में से एक हैं लेकिन वह एक युद्धरत देश के नेता होने के कारण उनकी जीत की संभावना भी कम है.

इंसानियत की सेवा में जुटे संगठन और कार्यकर्ता

इस साल इजरायल-हमास संघर्ष, यूक्रेन युद्ध और सूडान में जारी रक्तपात के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं. इन संघर्षों के बीच पीड़ितों की मदद करने वाले मानवीय संगठनों और कार्यकर्ताओं ने भी बड़ी भूमिका निभाई है. पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो के निदेशक हेनरिक उरडल का कहना है कि "यूएनआरडब्ल्यूए इस साल का एक प्रमुख दावेदार हो सकता है, क्योंकि यह गाजा में युद्ध से प्रभावितों लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है.

यूएनआरडब्ल्यूए पर विवाद

हालांकि, यूएनआरडब्ल्यूए को नोबेल शांति पुरस्कार देने का निर्णय विवादास्पद हो सकता है. इज़राइल ने आरोप लगाया है कि यूएनआरडब्ल्यूए के कुछ कर्मचारियों ने 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इजरायल पर हमास के हमले में भाग लिया था. इसे के कारण गाजा युद्ध और भड़क गया. इन आरोपों के कारण कुछ देशों ने यूएनआरडब्ल्यूए को वित्तीय सहायता रोक दी थी, लेकिन बाद में कई दानदाताओं ने फिर से दान देना शुरू कर दिया.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का नाम भी इस वर्ष चर्चा में है. नोबेल शांति पुरस्कार के इतिहासकार एस्ले स्वीन का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत करने के प्रयासों के लिए गुटेरेस को पुरस्कार दिया जा सकता है. यह पुरस्कार अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) के साथ या उसके बिना भी गुटेरेस को दिया जा सकता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों के पालन को सुनिश्चित करता है.