menu-icon
India Daily

नेपाल ने उड़ाई भारत की नींद, चीन से मिलकर ओली ने ले लिए 2036 करोड़, ड्रैगन की नई चाल से हिंदुस्तान को कितना खतरा?

Nepal PM K P Sharma Oli met President Xi: नेपाल और चीन का यह नया गठजोड़ भारत के लिए कई रणनीतिक और कूटनीतिक चुनौतियां खड़ी कर सकता है. हालांकि, भारत के पास अभी भी मौका है कि वह नेपाल के साथ अपने पुराने संबंधों को मजबूत कर, इस चुनौती का समाधान निकाले.

auth-image
Edited By: Gyanendra Tiwari
Nepal PM K P Sharma Oli met President Xi
Courtesy: Social Media

Nepal PM K P Sharma Oli met President Xi: नेपाल और चीन के बढ़ते सहयोग ने भारत की सुरक्षा और भू-राजनीतिक स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं. नेपाली प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई वार्ता के बाद, दोनों देशों ने नौ बिंदुओं पर समझौता किया. चीन ने नेपाल को 2036 करोड़ की आर्थिक मदद दी है. यह सहयोग भारत के लिए चिंताओं का कारण बनता जा रहा है. आइए समझते हैं कि यह साझेदारी क्यों महत्वपूर्ण है और इसका भारत पर क्या प्रभाव हो सकता है.

नेपाल-चीन समझौतों की मुख्य बातें

प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने अपनी चार दिवसीय चीन यात्रा के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौते किए. इनमें मुख्यतः कनेक्टिविटी, औद्योगिक और बुनियादी ढांचे के विकास, व्यापार, और कृषि जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर सहमति बनी.

  1. टोक्हा-छाहारी सुरंग मार्ग निर्माण: काठमांडू के पास एक नई सुरंग सड़क निर्माण का समझौता.
  2. ऐतिहासिक भवनों का पुनर्निर्माण: बसंतपुर में नौ मंजिला ऐतिहासिक महल के जीर्णोद्धार के लिए समझौता.
  3. व्यापार बढ़ाने के कदम: नेपाल और चीन के बीच व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए समझौता.
  4. कृषि और चिकित्सा में सहयोग: थर्मल-प्रोसेस्ड भैंस के मांस के निर्यात से लेकर चिकित्सा और तकनीकी सहायता तक.

भारत के लिए चुनौती

नेपाल और चीन की इस साझेदारी का असर भारत की कूटनीति और रणनीतिक सुरक्षा पर पड़ सकता है. चीन और नेपाल के बीच सड़क और रेल कनेक्टिविटी में सुधार से भारत की रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है. यह भारत के पारंपरिक प्रभाव को चुनौती देता है.

चीनी निवेश और कर्ज का बढ़ता प्रभाव

नेपाल में चीनी निवेश का मतलब है कि चीन का इस क्षेत्र में प्रभाव और अधिक बढ़ेगा. नेपाल की कर्ज पर बढ़ती निर्भरता उसे चीन के प्रभाव में खींच सकती है.

नेपाल ने लंबे समय तक भारत और चीन के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है. लेकिन ओली सरकार के चीन की तरफ झुकाव ने इस संतुलन को कमजोर किया है.

भारत को क्या कदम उठाने चाहिए?

कूटनीतिक प्रयास बढ़ाने की जरूरत: भारत को नेपाल के साथ अपने पारंपरिक सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए कूटनीतिक प्रयास तेज करने चाहिए.

विकास परियोजनाओं में सहभागिता: नेपाल में बुनियादी ढांचे और विकास परियोजनाओं में सक्रिय निवेश करना भारत के हित में होगा.

चीन के प्रभाव का मुकाबला: चीन के प्रभाव को सीमित करने के लिए भारत को नेपाल के साथ सामरिक संबंधों को और मजबूत करना होगा.