Markhor Day: मारखोर. इस शब्द के बारे में शायद आप पहली बार सुन रहे होंगे. आपको लग रहा होगा कि इस शब्द का कनेक्शन किसी निर्जीव चीज से होगा. लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. दरअसल, यह एक जानवर है और इसका पाकिस्तान से खास कनेक्शन है. मारखोर की प्रजाति को संरक्षित रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 24 मई को मारखोर दिवस के रूप में घोषित किया है. इसी कारण 24 मई को मारखोर दिवस मनाया जाता है.
मारखोर मुख्यत: मध्य और दक्षिण एशिया के पहाड़ी क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इन्हें संरक्षित करने के लिए पाकिस्तान समेत 8 देशों ने यूएन में मारखोर दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था ताकि इस प्रजाति को संरक्षित किया जा सके और समाज में इसके बारे में जागरूकता फैलाई जा सके.
मारखोर का पाकिस्तानी कनेक्शन
मारखोर को टेढ़ी-मेंढ़ी और नुकीली सींग वाली बकरी के रूप में भी जाना जाता है. मराखोर हमारे पड़ोसी पाकिस्तान का राष्ट्रीय पशु भी है. यह एक जंगली बकरी/बकरा है. इसकी सींघ 1.6 मीटर तक लंबी यानी करीब 5.2 फीट तक बढ़ सकती है.
एक समय ऐसा माना जा रहा था कि मारखोर प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है. लेकिन साल 2014 के बाद से मारखोर प्रजाति की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. प्रकृति संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ के पाकिस्तानी अधिकारी सईद अब्बास के अनुसार 2014 से मारखोर की जनसंख्या 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है.
वृद्धि के बावजूद रेड सूची में मारखोर
मारखोर प्रजाति के जीवों की संख्या में बढ़ोतरी होने के बावजूद यह International Union for Conservation of Nature (IUCN) की विलुप्त होने की कगार वाली प्रजातियों की रेड सूची में है.
पाकिस्तान समेत 8 देशों द्वारा पेश किए मारखोर दिवस मनाने के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्वीकार करना ये दर्शाता है कि इस प्रजाति का हमारे इकोसिस्टम का कितना रोल है.