भारतवंशी अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और अमेरिकी अंतरिक्षयात्री बुच बैरी विलमोर धरती पर वापस आएंगे. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस काम के लिए SpaceX के Dragon Crew Capsule को चुना है. ये कैप्सूल अपने बनने के बाद से अब तक 46 बार लॉन्च हो चुका है.जानकारी के मुताबिक साल 2025 के फरवरी महीने में सुनीता विलियम्स को लाने की तैयारी पुरजोर हो रही है.
जब यह कार्गो और एस्ट्रोनॉट के साथ लॉन्च किया जाता है, तब इसकी अधिकतम वजन क्षमता 12,500 किलोग्राम होती है. यह किसी ऑर्बिट में 6000 किलोग्राम तक का वजन पहुंचा सकता है. स्पेस स्टेशन यह 3307 किलोग्राम वजन पहुंचा सकता है या वापस ला सकता है. आमतौर पर इसमें 2 से 4 एस्ट्रोनॉट बैठते हैं.
इमरजेंसी इवैक्यूएशन यानी आपातकालीन स्थिति में इसमें सात एस्ट्रोनॉट्स के बैठने की व्यवस्था की जा सकती है. अगर यह सिर्फ अपने दम पर धरती की निचली कक्ष में उड़ान भरे तो यह 10 दिन तक अंतरिक्ष में रह सकता है लेकिन स्पेस स्टेशन से जोड़ दिया जाए तो यह 210 तक अंतरिक्ष में रह सकता है. ड्रैगन क्रू कैप्सूल की ऊचाई 15 फीट है लेकिन नीचे प्रोपल्शन सिस्टम को मिलाकर इसकी ऊंचाई 26.7 फीट हो जाती है. कैप्सूल के अंदर 13 फीट का व्यास और 12 फीट की चौड़ाई है. SpaceX ने इसके कई वेरिएंट बनाएं हैं. अब तक 12 ड्रैगन कैप्सूल बनाए जा चुके है. 6 क्रू 3 कार्गो और 3 प्रोटोटाइप.
इस समय कुल 8 ड्रैगन कैप्सूल आपरेशनल है, जिसमें से चार क्रू कैप्सूल है यानी एस्ट्रोनाट्स को स्पेस स्टेशन पहुंचे और वापस लाने के लिए तीन कार्गो कैप्सूल यानी सामान के लिए, एक प्रोटोटाइप, तीन कैप्सूल रिटायर हो चुके हैं, जिसमें एक क्रू था और दो प्रोटोटाइप थे. हालांकि नासा ने यह भी माना है कि ISS पर फंसे दोनों एस्ट्रोनॉट को बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल में लाना खतरनाक हो सकता है. जबकि दोनों अंतरिक्ष यात्री 5 जून को इसी स्पेसक्राफ्ट से ISS भेजे गए थे. ये स्टारलाइनर कैप्सूल की पहली उड़ान थी.
इस कैप्सूल की पहली मानवरहित उड़ान 2 मार्च 2019 में हुई थी. मानवयुक्त पहली उड़ान 20 मई 2020 को हुई थी. पहली कार्गो उड़ान 6 दिसंबर 2020 को हुई थी. इसे आमतौर पर स्पेसएक्स के फाल्कन 9 ब्लाक 5 रॉकेट से लांच किया जाता है. इसमें स्पेस स्टेशन तक जाने और वापस आने के लिए 2563 किलोग्राम ईंधन डाला जाता है.