शिष्याओं के साथ सेक्स करने के आरोप में फंसे भिक्षु को 73 साल की उम्र में प्राप्त हुआ निर्वाण

यंत्र अमरो का जीवन विवादों से घिरा रहा. 1994 में उन्हें थाईलैंड के भिक्षु समुदाय से निष्कासित कर दिया गया था, जब उनके खिलाफ एक बड़े सेक्स स्कैंडल का खुलासा हुआ. उन पर अपनी महिला शिष्याओं के साथ कई अनुचित संबंधों के आरोप लगे थे.

कैलिफोर्निया के अपने मठ में 73 वर्ष की आयु में विवादास्पद संप्रदाय के भिक्षु यंत्र अमरो का निधन हो गया. यंत्र अमरो, जिनका मूल नाम विनाई ला-ओंगसुवा था, ने भिक्षु बनते समय अपना नाम बदल लिया था और "यंत्र अमरो" नाम अपनाया, जिसका अर्थ है "इच्छाओं से दूर रहने वाला." उनका जन्म थाईलैंड के नाखोन सी थम्मरात प्रांत के पाक पनांग जिले में 1956 में हुआ था. 1974 में उन्होंने भिक्षु जीवन शुरू किया था.

उनके निधन की घोषणा सन्नताराम कैलिफोर्निया मठ के फेसबुक पेज पर की गई. यह संदेश संक्षिप्त था और मृत्यु के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. संदेश में लिखा था, "हम पूज्य पिता को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने निर्वाण प्राप्त कर लिया है."

शिष्याओं से सेक्स करने के लगे थे आरोप
यंत्र अमरो का जीवन विवादों से घिरा रहा. 1994 में उन्हें थाईलैंड के भिक्षु समुदाय से निष्कासित कर दिया गया था, जब उनके खिलाफ एक बड़े सेक्स स्कैंडल का खुलासा हुआ. उन पर अपनी महिला शिष्याओं के साथ कई अनुचित संबंधों के आरोप लगे थे. इन आरोपों में यह भी शामिल था कि उन्होंने महिलाओं को बहकाकर उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए और अपने अनुयायियों से मिले दान का उपयोग ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के यौन स्थानों पर किया.

एक महिला ने किया था अपने बच्चे के पिता होने का दावा

एक महिला ने आगे आकर दावा किया कि यंत्र अमरो उनके बच्चे के पिता थे. उसने सबूत के तौर पर उनके साथ पति-पत्नी की तरह रहने की तस्वीरें पेश कीं और डीएनए परीक्षण की मांग की. इन गंभीर आरोपों के बाद थाईलैंड के संंघ सुप्रीम काउंसिल ने उन्हें भिक्षु पद से हटाने का फैसला किया. लेकिन यंत्र अमरो ने इस निर्णय को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और दावा किया कि वह अभी भी एक भिक्षु हैं.

थाईलैंड से कैलिफोर्निया तक का सफर
निष्कासन के बाद यंत्र अमरो थाईलैंड छोड़कर कैलिफोर्निया भाग गए. वहां उन्होंने एक नया मठ स्थापित किया, जो एस्कॉन्डिडो में स्थित था. इस दौरान उन्होंने अमेरिका, थाईलैंड और अन्य देशों में अपने अनुयायियों का एक बड़ा समूह तैयार किया. वह कैलिफोर्निया में तब तक रहे, जब तक कि थाईलैंड में उनके खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों की समय-सीमा 2014 में समाप्त नहीं हो गई.

अंतिम समय और विरासत
यंत्र अमरो का जीवन और उनकी मृत्यु दोनों ही चर्चा का विषय बने रहे. एक ओर जहां उनके अनुयायी उन्हें निर्वाण प्राप्त करने वाले संत के रूप में देखते हैं, वहीं उनके आलोचक उनके विवादास्पद कार्यों को याद करते हैं. उनका निधन एक ऐसे व्यक्ति के जीवन के अंत का प्रतीक है, जिसने अपने नाम "इच्छाओं से दूर रहने वाला" के विपरीत एक ऐसा जीवन जिया, जो कई सवाल छोड़ गया. इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि आध्यात्मिकता और नैतिकता के बीच की रेखा कितनी पतली हो सकती है. यंत्र अमरो की कहानी शायद आने वाले समय में भी लोगों के बीच बहस का विषय बनी रहेगी.