META CEO Mark Zuckerberg: मेटा के संस्थापक (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग ने चीन में अपने प्लेटफॉर्म को लाने के लिए सालों से जी तोड़ मेहनत की है. चीन के विशाल डिजिटल बाजार पर अपनी पकड़ बनाने की चाह में उन्होंने मंदारिन भाषा तक सीख डाली है. लेकिन जुकरबर्ग के इस जुनून की असली हद फेसबुक व्हिसलब्लोअर साराह व्यान-विलियम्स की नई किताब 'केयरलेस पीपल' में सामने आई है.
इस किताब में खुलासा किया गया है कि जुकरबर्ग ने एक बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अपने अजन्मे बच्चे का नाम रखने का अनुरोध किया था. हालांकि, शी जिनपिंग ने यह अनुरोध ठुकरा दिया था.
व्यान-विलियम्स की नै किताब में क्या खुलासे हुए?
व्यान-विलियम्स ने फेसबुक में बिताए सात सालों के अपने अनुभव साझा करते हुए कंपनी की आंतरिक कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठाए है. वह फेसबुक में वैश्विक सार्वजनिक नीति निदेशक के रूप में काम कर रही थी. उन्होंने जुकरबर्ग सहित शीर्ष अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया था.
चीन के बाज़ार में प्रवेश की विवादास्पद रणनीति
साराह व्यान-विलियम्स ने खुलासा किया कि फेसबुक ने चीनी अधिकारियों को आश्वासन दिया था कि वह सरकार के साथ मिलकर काम करेगा और सोशल मीडिया पर बैन कंटेंट को सेंसर करने में मदद करेगा. उनके अनुसार, फेसबुक ने कम्युनिस्ट पार्टी की मांगों को पूरा करने के लिए ब्लैकलिस्टेड सामग्री को नियंत्रित करने की पेशकश भी की थी. उन्होंने कहा, "इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह थी कि फेसबुक ने हांगकांग और ताइवान में भी वायरलिटी काउंटर स्थापित कर दिए थे."
"चीन था जुकरबर्ग की व्हाइट व्हेल"
द टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में व्यान-विलियम्स ने बताया कि जुकरबर्ग चीन को अपनी "व्हाइट व्हेल" मानते थे एक ऐसी उपलब्धि जिसे वे पाना चाहते थे, लेकिन कभी सफल नहीं हो पाए. बता दें मार्क जुकरबर्ग की शादी प्रिसिला चान से हुई है. उनकी पहली बेटी का जन्म दिसंबर 2015 में हुआ था, जिसका नाम मैक्सिमा रखा था.