कनाडा के PM जस्टिन ट्रूडो को भारत ने दिया करारा जवाब, अब नहीं देंगे हिंदुस्तान विरोधी बयान?
Indian Canada Conflict: MEA के बयान में यह भी कहा गया है कि ट्रूडो की सरकार एक ऐसे राजनीतिक दल पर निर्भर है, जिसका नेता खुलकर भारत के खिलाफ अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करता है. इससे साफ होता है कि ट्रूडो सरकार के निर्णय उनके राजनीतिक साझेदारों और वोट बैंक की राजनीति से प्रभावित हैं, न कि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार लाने के लिए.
Indian Canada Conflict: भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंध एक बार फिर से चर्चा में हैं. हाल ही में कनाडा सरकार द्वारा भारतीय उच्चायुक्त और अन्य भारतीय राजनयिकों को "व्यक्ति विशेष" की सूची में रखने का मुद्दा सामने आया है, जिसके बाद भारत ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए इसे राजनीति से प्रेरित और बेबुनियाद बताया. भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट रूप से कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का यह कदम उनके घरेलू राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा है, जिसमें उनका भारत विरोधी रुख लंबे समय से दिखाई दे रहा है.
MEA ने अपने बयान में कहा, "भारत सरकार इन निराधार आरोपों को सख्ती से खारिज करती है और इसे ट्रूडो सरकार के वोट बैंक राजनीति पर आधारित एजेंडे से जोड़ती है." इस बयान के जरिए भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि ट्रूडो की नीति भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने और चुनावी लाभ पाने के लिए है.
ट्रूडो का भारत विरोधी रुख
जस्टिन ट्रूडो का भारत के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण कोई नई बात नहीं है. भारत ने 2018 में उनके भारत दौरे के समय भी इस बात को महसूस किया था, जब उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान भारत के राजनीतिक और सांस्कृतिक मामलों में हस्तक्षेप करने का प्रयास किया था. उनकी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य कनाडा में रहने वाले कुछ खास समुदायों को खुश करना था, जिससे उनके राजनीतिक समीकरण बेहतर हों. हालांकि, यह यात्रा उनके लिए असफल साबित हुई और उन्हें भारत में काफी आलोचना का सामना करना पड़ा.
इसके अलावा, ट्रूडो की कैबिनेट में कुछ ऐसे व्यक्ति भी शामिल रहे हैं, जिन्होंने खुलेआम भारत विरोधी और अलगाववादी विचारधारा का समर्थन किया है. यह बात भारत के लिए हमेशा चिंता का विषय रही है और इसी कारण से दोनों देशों के संबंधों में बार-बार तनाव देखने को मिला है.
किसान आंदोलन में ट्रूडो का हस्तक्षेप
2020 के किसान आंदोलन के दौरान ट्रूडो का बयान भारतीय राजनीति में एक बड़े विवाद का कारण बना था. उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस आंदोलन के समर्थन में बयान दिया था, जिसे भारत ने अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के रूप में देखा. ट्रूडो का यह बयान कनाडा में उनकी पार्टी के लिए एक राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश थी, लेकिन इसने भारत-कनाडा के संबंधों को और भी खराब कर दिया.