Viral Video: लंदन में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां एक व्यक्ति ने मुस्लिमों की पवित्र पुस्तक कुरान को जलाने की कोशिश की. यह घटना उस समय हुई जब वह व्यक्ति तुर्की दूतावास के पास खड़ा था. सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में देखा गया कि एक आदमी हाथ में जलती हुई किताब पकड़कर उसे जलाता हुआ दिखाई दे रहा था. यह किताब कुरान मानी जा रही है, और उस व्यक्ति ने इसे दूतावास के पास स्थित रास्ते पर उठाकर जला दिया.
वीडियो में यह भी देखा गया कि एक दूसरा व्यक्ति उस जलती हुई किताब को पकड़े हुए आदमी को सड़क पर गिरा कर उस पर हमला करता है. इस व्यक्ति ने बाद में चाकू से उस आदमी पर हमला किया. हमले के बाद, घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी अंगुलियों में चोटें आईं, हालांकि उसे किसी भी तरह के चाकू के घाव नहीं मिले.
ICYMI: Man burns Quran outside London Turkish Consulate, gets stabbed, spat on and kicked by the knifeman
— RT (@RT_com) February 14, 2025
The demonstrator was rushed to the hospital after the attacker was detained pic.twitter.com/jrO4GZZhzL
पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारियां
मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने इस घटना पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि उन्हें 13 फरवरी को 14:11 बजे घटना की जानकारी मिली थी. पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और हमलावर को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के पास एक आक्रामक हथियार था और वह गंभीर शारीरिक नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया. मामले की जांच जारी है.
कुरान जलाने की घटना के संदर्भ में
इस घटना से पहले, सोशल मीडिया पर यह जानकारी सामने आई थी कि कुरान जलाने का प्रयास करने वाला व्यक्ति तुर्की मूल का हो सकता है. एक ट्विटर अकाउंट, जो इस घटना से जुड़े होने का दावा कर रहा था, ने पोस्ट किया कि यह घटना स्वीडन में हाल ही में हुए एक ऐसे ही विरोध का हिस्सा थी. स्वीडन में कुछ दिन पहले सलवान मोमिका नामक व्यक्ति ने कुरान जलाने का विरोध किया था, जिसे बाद में एक हमले में जान से मार दिया गया. इसी घटना को याद करते हुए, स्वीडिश-डेनिश राजनेता रासमस पलुडान ने भी कुरान जलाया था.
कुरान जलाने का विवाद और विवादास्पद घटनाएं
2023 में कुरान जलाने की घटनाएं स्वीडन और अन्य यूरोपीय देशों के लिए एक बड़ा विवाद बन गई थीं, क्योंकि इसने धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन को चुनौती दी थी. यह घटनाएं धार्मिक और जातीय समूहों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकारों के बीच के दुरुस्त संबंधों पर सवाल उठाती हैं.