China Maldives Ties: भारत के साथ राजनयिक विवाद के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने चीन की यात्रा की. इस दौरान उन्होंने अपने समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात की. दोनों देशों ने टूरिज्म इंडस्ट्री सहित 20 एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए हैं. इस दौरान दोनों नेताओं ने अपने बाईलैटरल रिलेशंस को रणनीतिक साझेदारी तक विस्तारित करने की घोषणा भी की. दोनों देशों के बीच 20 समझौतों में ब्लू इकॉनमी को बढ़ावा देना और बीजिंग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट रोड इनीशिएटिव काफी अहम है. अन्य समझौतों में आपदा जोखिम, डिजिटल इकॉनमी में निवेश को मजबूती देना शामिल है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन का मालदीव की ब्लू इकॉनमी में सहयोग उसकी सागर में बढ़ती दादागीरी की मंशा को संदर्भित करता है. दरअसल विस्तारवादी रवैयै वाला ड्रैगन हमेशा इस नीति पर कायम रहा है कि वह अपने आस-पास के देशों की सामरिक भूमि पर अपना नियंत्रण स्थापित कर सके. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि जिनपिंग से मदद की मंशा रखने वाला मालदीव कहीं उसके जाल में न फंस जाए. चीन के द्वारा मालदीव के समुद्री पर्यटन में सहयोग का वादा उसका सागर में अपना प्रभाव विस्तारित करने की योजना के तौर पर देखा जा रहा है.
वर्ल्ड बैंक के अनुसार, ब्लू इकॉनमी की सामान्य अर्थ समुद्र के अंदर होने वाली आर्थिक गतिविधियों से है. इसमें व्यापार, रोजगार, और समुद्री संसाधनों का अनुकूलतम उपयोग शामिल है. यूरोपीय कमीशन के तहत इसमें महासागर, समुद्री तटों से जुड़ी सभी प्रकार की मानवीय गतिविधियां शामिल हैं. इसके अलावा सामरिक रूप से समंदर के बीच रणनीतिक ठिकानों का विकास भी ब्लू इकॉनमी विस्तारित और अहम हिस्सा होता है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था में समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था का योगदान लगभग 1.5 ट्रिलियन डॉलर प्रति वर्ष का है. इसमें बड़ी हिस्सेदारी समुद्र से होने वाले व्यापार की है. दुनिया का 80 फीसदी व्यापार समुद्री मार्ग से होता है. यह इस इकॉनमी का मूल स्तंभ है. इसके अलावा दुनियाभर की 35 करोड़ आबादी का जीवन प्रत्यक्ष तौर पर मत्स्य पालन से जुड़ा हुआ है. समुद्री अपतटीय क्षेत्रों 34 फीसदी कच्चे तेल का उत्पादन होता है. रिपोर्ट के अनुसार, कोरल रीफ वाले देशों के तटीय इलाकों में होने वाले पर्यटन से ही दुनियाभर में 6 अरब डॉलर की कमाई होती है.
इंडियन ओशन तमाम प्राकृतिक संसाधनों से लैस है. चीन की नजरें यहां के इन्हीं संसाधनों पर हैं. इस कारण वह इस क्षेत्र में स्थित देशों से दोस्ती कर वहां के मत्स्य पालन, समुद्री उर्जा, पवन उर्जा, तेल खनन, समुद्री पर्यटन जैसे संसाधनों का दोहन करना चाहता है. इसके अलावा वह मालदीव में अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहता है जिससे वह हिंद महासागर में अपनी दादागीरी चला सके. रिपोर्ट के अनुसार, चीन क्वाड देशों की काट खोज रहा है. यह भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, जैसे चार देशों का समूह है.चीन की नापाक नजरें लंबे समय से हिंद महासागर पर रही हैं. साउथ चाइना सी को लेकर उसका विवाद अपने पड़ोसी देशों के साथ जगजाहिर है. चूंकि मालदीव की भौगोलिक स्थिति ऐसी है जिसका लाभ चीन उठाना चाहता है. हाल के दिनों में भारत और मालदीव के संबंधों में तनातनी भी देखने को मिल रही है. इसलिए ड्रैगन इस द्वीपीय राष्ट्र पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है.