Maldives Ban on Israelis: मालदीव सरकार ने हिंद महासागर के द्वीपसमूह में इजराइलियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है जो कि अपने लक्जरी रिसॉर्ट्स के लिए जाना जाता है. मालदीव ने यह फैसला इस वजह से लिया है क्योंकि वह एक मुस्लिम राष्ट्र है और उनके देश में गाजा के साथ चल रहे युद्ध को लेकर जनता का गुस्सा बढ़ रहा है.
राष्ट्रपति कार्यालय ने रविवार को कहा कि कैबिनेट ने इजरायली पासपोर्ट धारकों को देश में प्रवेश करने से रोकने के लिए कानूनों में बदलाव करने और इस प्रक्रिया की देखरेख के लिए एक उपसमिति स्थापित करने का फैसला किया है. इसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू फिलिस्तीनी जरूरतों का आकलन करने और धन जुटाने का कैंपेन शुरू करने के लिए एक विशेष दूत नियुक्त करेंगे.
पिछले साल लगभग 11,000 इजरायलियों ने मालदीव का दौरा किया था, जो कि उनके देश में आने वाले कुल पर्यटकों की संख्या का 0.6% था. मुइज्जू ने फिलिस्तीन के साथ एकता दिखाने के लिए एक नेशनल कैंपेन चलाने का भी ऐलान किया है जिसका नाम "Maldivians in Solidarity with Palestine" रखा है और इसका मुख्य काम फिलिस्तीन में राहत सामग्री पहुंचाने के लिए पैसे इकट्ठा करना होगा.
वहीं राष्ट्रपति के कार्यालय के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा,'हमारी सरकार ने इजराइली पासपोर्ट पर बैन लगाने का फैसला किया है.' हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह नया कानून कब से लागू होगा.
उल्लेखनीय है कि मालदीव ने 1990 के दशक की शुरुआत में इजराइली पर्यटकों पर पिछले प्रतिबंध को हटा दिया था और 2010 में संबंधों को बहाल करने के लिए कदम उठाया था. हालांकि, फरवरी 2012 में राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के पद से हट जाने के बाद दोनों पक्षों के बीच शांति के प्रयास फिर से खराब हो गए थे.
मालदीव में विपक्षी दल और सरकार के सहयोगी गाजा युद्ध के विरोध के संकेत के रूप में इजराइलियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुइज्जू पर दबाव डाल रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि इस साल के पहले चार महीनों में मालदीव जाने वाले इजराइलियों की संख्या घटकर 528 रह गई, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 88 प्रतिशत कम है.
वहीं मालदीव की ओर से लगाए गए इस बैन के जवाब में इजराइल के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने नागरिकों को मालदीव की यात्रा से बचने का आग्रह किया है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'देश में रह रहे इजरायली नागरिकों को देश छोड़ने पर विचार करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि अगर वे किसी कारण से संकट में पड़ जाते हैं, तो हमारे लिए उनकी मदद करना मुश्किल होगा.'
गाजा युद्ध की शुरुआत हमास की ओर से 7 अक्टूबर को इजरायल पर किए गए अभूतपूर्व हमले से हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप 1,189 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से ज्यादातर नागरिक थे, यह जानकारी इजरायल के आधिकारिक आंकड़ों पर आधारित AFP की गणना से मिली. हमास ने 252 लोगों को बंधक भी बनाया, जिनमें से 121 लोग गाजा में ही रह गए, जिनमें से 37 के बारे में सेना का कहना है कि वे मर चुके हैं. हमास के कब्जे वाले एरिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इजरायल के जवाबी हमले में गाजा में कम से कम 36,439 लोग मारे गए हैं, जिनमें से ज्यादातर नागरिक थे.