'लूटेरा था महमूद गजनवी, मैं हीरो नहीं मानता', पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने करी अपने देश की 'इंटरनेशनल बेइजज्ती'
यह बयान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक और राजनीतिक तनाव को और बढ़ा सकता है. गजनवी पर ख्वाजा आसिफ का बयान न केवल पाकिस्तान की राष्ट्रीय पहचान और इतिहास पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक नई कूटनीतिक बहस का कारण बन सकता है.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने महमूद गजनवी के बारे में विवादित बयान दिया है, जिससे पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक नई राजनीतिक और ऐतिहासिक बहस छिड़ गई है. आसिफ ने एक टीवी चैनल पर कहा कि महमूद गजनवी, जो गजनवी साम्राज्य के शासक थे, उसको जिस तरह से प्रस्तुत किया जाता है, वह गलत है. उनका कहना था, "महमूद गजनवी कोई नायक नहीं था, बल्कि वह एक डाकू-लुटेरा था जो यहां लूटपाट करने आता था और माल लूटकर वापस चला जाता था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में महमूद गजनवी को हमलावर के रूप में दिखाने के बजाय उसे नायक के रूप में पेश किया गया है. पाकिस्तान के शिक्षा प्रणाली में गजनवी को अक्सर एक वीर मुस्लिम शासक के रूप में चित्रित किया जाता है, और पाकिस्तान में उनके नाम पर कई हथियारों की प्रणालियां भी हैं, जैसे कि "गजनवी मिसाइल", जो पाकिस्तान की कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का नाम है.
अफगानिस्तान का विरोध
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के इस बयान पर अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि पाकिस्तान की मिसाइल प्रणालियों के नाम अफगानिस्तान की ऐतिहासिक शख्सियतों, जैसे गजनवी और अब्दाली, के नाम पर रखे गए हैं. सालेह ने आरोप लगाया कि ख्वाजा आसिफ ने महमूद गजनवी को गैंग लीडर और लुटेरा कहकर अपमानित किया है और यह पाकिस्तान के इतिहास से जुड़ी गहरी कुंठा और पहचान संकट को दर्शाता है.
ख्वाजा आसिफ पर भड़के अफगानिस्तान के पूर्व मंत्री
महमूद गजनवी के बयान पर ख्वाजा आसिफ की किरकिरी शुरु हो गई है. जिस पर अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने नाराजगी जताई है. सालेह ने कहा, "ख्वाजा आसिफ की अनर्गल बातें पाकिस्तान की ऐतिहासिक हीनता की भावना को दर्शाती हैं. वह सबसे पहले अपने मिसाइल सिस्टम से गजनवी नाम हटाएं और फिर इन्हें नए नाम दें. सालेह का यह भी कहना था कि पाकिस्तानियों के पास 1947 के बाद से गर्व करने के लिए कुछ नहीं बचा है, और वह अपनी पहचान की समस्या को छिपाने के लिए अफगानिस्तान के नायकों के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं.